*श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़। हर खबर पर पैनी नजर।*

राम नाम ज्योति बिना जीवन अधूरा:-दीदी माँ ॠतंभरा।

बिना सत्संग विवेक नहीं होता:- दीदी माँ ॠतंभरा।

रमेश शंकर झा

हाजीपुर:- ब्रहालीन बाबा पशुपतिनाथ जी महाराज की पावन धर्मनगरी चांदी धनुषी में आयोजित श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ के दरम्यान आयोजित  श्रीमद्भागवत कथा के दौरान प्रवचन देती हुए विश्व विख्यात श्रीमद्भागवत कथा ममर्ज्ञी साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा जी ने कहा कि राम नाम की ज्योति के बिना जीवन अधूरा है।जीवन में समय का बहुत बङा महत्व है।आज के परिवेश में सब सुखी होना चाहते हैं। सारस्वत सुख पाना हर मनुष्य की लालसा रहती है ।

स्थिति यह है कि एक जगह से सुख नहीं मिलने पर इंसान का मन दूसरे की तरफ आकर्षित होता है। भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को भगवान सुकदेव व राजा परीक्षित संवाद पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए दीदी माँ ॠतंभरा जी कहतीं हैं कि भवसागर विचित्र है और यह मन ही हैं।मन इतना बड़ा सागर है कि अपने आप को भय से पार जाना ही भवसागर है।राजा परीक्षित के चित में मृत्यु का भय है।भगवान सुकदेव के चरणों में बैठ राजा परीक्षित इस भय को रखते हैं।भगवान सुकदेव कहते है कि पाओगे तो खोने का डर स्वाभाविक है ।

शरीर को मैं मान लेना ही सबसे बड़ी गलती है।साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा जी ने सदर प्रखंड स्थित चांदी धनुषी गांव में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से मुखातिब होते हुए कहा कि मन चंचल है।जिस प्रकार की संगति होती हैं। मनुष्य उसी प्रकार का हो जाता है। क्रोध को शरीर के लिए जहर बताते हुए कहा कि स्व अनुशासन का जीवन में बङा महत्व है।व्यक्ति होने का अर्थ है कि उसका स्वंय पर नियंत्रण होना चाहिए ।

कहा कि आज लोग दुनिया को मुट्ठी में रखने का दंभ भरते हैं लेकिन पहले की दुनिया ही अच्छी थी जब दिल मुट्ठी में होती थी ।चिट्ठियों में प्रेम,करूणा व जज़्बात लिखें जाते थे ।आज माया के संसार में लोग जी रहे हैं ।जिस चीज को हम जैसी भावनाओं से देखते हैं ।हमें उनसे वैसी ही प्रेरणा मिलती है ।भारतीय संस्कृति  रहीं हैं कि यहां जात पात का कोई स्थान नहीं है ।शिखर पर पहुंचना आसान हैं पर टिकना आसान नहीं है। उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से समय का पंछी उङ न जाएं ,राम नाम की ज्योति बिना जीवन अधूरा,

श्रद्धा से राम नाम गा लो … आदि की प्रस्तुतियों से उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक भाव का बोध कराया।मौके पर मुख्य यज्ञमान अमरेन्द्र कुमार सिंह, व्यवस्थापक  सत्येन्द्र सिंह राणा,अरूण झा,आचार्य धर्मवीर,सचिन वशिष्ठ,मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, रविन्द्र कुमार सिंह,अलका सिंह,सत्येन्द्र सिंह,अर्पिता चौहान सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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