*बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वक्तव्य। हर खबर पर पैनी नजर।*

वन्दना झा

पटना:- पिछली बार जब 13 जनवरी को एक विशेष बैठक कर रहे थे यहां और उसमें अनुसूचित जाति, जनजाति को लोकसभा और विधानसभा जो आरक्षण दिया जाता है उसको अगले 10 वर्षों तक के लिए एक्सटेंशन करने के लिए जो निर्णय संसद में हुआ तो उसका समर्थन व्यक्त करने के लिए यहां हमलोगों की कार्यवाही हुई थी। उसी के दौरान ये बाते नेता विरोधी दल ने कही थी कि सी०ए०ए०, एन०आर०सी० और एन०पी०आर० पर चर्चा होनी चाहिए। हमलोगों ने कहा कि इस पर जब भी चर्चा हो, हमलोगों को कोई एतराज नहीं है। चर्चा तो हर मुद्दे पर होनी चाहिए। मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि इस विषय पर कोई चर्चा हो। इतना काम है और सबको मालूम है कि बजट सत्र है, इसमें सब लोगों को भाग लेना है और अपनी बातें रखनी है। वैसी स्थिति में कोई व्यवधान न हो और कोई विशेष बातों पर चर्चा करना चाहते हैं तो जरुर होनी चाहिए। आपने इस पर चर्चा करके अच्छा किया। ये अच्छी परंपरा की शुरुआत आपने की है। अब हम स्पेस्फिक विषय पर आना चाहते हैं। जो एन0पी0आर0 की बात आपलोग कर रहे हैं। एन0पी0आर0 के बारे में तो राय स्पष्ट है.। नोटिफिकेशन की बात कह रहे थे तो ये बात सही है कि एन0पी0आर0 के बारे में भारत सरकार से भारत के रजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त की तरफ से बिहार के मुख्य सचिव यानि केंद्र सरकार की तरफ से जिनकी जिम्मेवारी है, उनकी तरफ से राज्य सरकार को जो पत्र भेजा जाता है। इसके बारे में 7 अक्टूबर 2019 को पत्र भेजकर यह बताया था कि आपके यहां जो पिछली बार हुआ था 2010 में ये कहते हुए उन्होंने इसको मेंशन किया और कहा कि आगे काम करने को लेकर देख लीजिए। एन0पी0आर0 का काम तो 2010 से शुरु हुआ है जिसका जिक्र किया जा चुका है।

जब एन0पी0आर0 2010 में शुरु हुआ तो 2015 में उसमें कुछ और आगे हुआ। 2020 में जब इसके बारे में जानकारी और सूचना आई तो उसके हिसाब से हमलोगों ने देखा कि जो पहले 2010 में आया था उससे थोड़ा अलग कुछ नई चीजों को जोड़कर नई मांग की गई है कि लिंग संबंधी सूचना के संबंध में थर्ड जेंडर को समावेश किया गया। थर्ड जेंडर का समावेश किया जाना स्वाभाविक है। स्त्री हो, पुरुष हो, ट्रांसजेंडर हो, यह सही है लेकिन इसके अलावा जितनी बातें और माॅगी गयी है जैसे- माता पिता के नाम के साथ-साथ उनका जन्म सथान एवं जन्म दिन जो 2010 और 2015 के प्रपत्र में नहीं था। इसमें यह भी लिखा गया है कि अगर ये कोई चीजों को नहीं दे सकें तो सामने एक डैश विथ इनवरटेड कौमा लिख देंगे। हमने इन सबको देखा है। 19 जनवरी को मानव श्रृंखला के बाद हमने एक-एक डॉक्यूमेंट पढ़ा। एक-एक चीज को देखा। उसके बाद हमलोगों ने देखा कि इसमें यह बात है। हमने तो स्पष्ट तौर पर इसको लेकर कहा है कि जो कोई नहीं भी बोले और इसके आगे लिखा रहेगा डैश विथ इनभर्टेड कौमा तो कल होकर एन0आर0सी0 के सिलसिले में कोई बात होती है तो व्यवधान उत्पन्न होगा। यह लोगों के मन में सोच स्वाभाविक है। मुझे खुद नहीं पता है कि मेरी माताजी का जन्मदिन क्या था। कितने लोगों को अपने माता और पिता का जन्म दिन मालूम होगा। बिहार में जन्म दिन को लेकर चर्चा होती है कि 1934 के भूकंप के इतने दिन पहले या बाद में हुआ था। साल के बारे में जाड़ा, गर्मी और बरसात के बारे में गांवों में चर्चा होती है। डेट ऑफ वर्थ के बारे में पहले से कोई आंकलन ही नहीं था। ये तो बाद की चीज बनी है। अब लोगों को अपने डेट ऑफ वर्थ के बारे में जानकारी है। इसकी चर्चा पार्लियामेंट में भी की गई है। इन चीजों को देखते हुए राज्य सरकार में इस पर विमर्श हुआ। ये काम राजस्व विभाग के माध्यम से किया जाता है। मेरे कहने के बाद इस पर विमर्श हुआ। विमर्श होने के बाद राज्य सरकार की तरफ से 15 फरवरी 2020 को ऑफिशियल लेटर केंद्र सरकार को भेजा गया है। राज्य सरकार की तरफ से अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार के माध्यम से भारत के रजिस्ट्रार-सह-जनगणना आयुक्त को यह भेजा गया। जिसका विषय राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 को विहित प्रपत्र में क्रमांक 3 में लिंग विवरण में ट्रांसजेंडर को रखते हुए प्रपत्र के शेष अन्य सूचनाएं पूर्व में संपन्न हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एन0पी0आर0 2010 की भांति रखे जाने के संबंध में ये पत्र ऑफिशियल भेजा गया है। सदन के अंदर राज्य सरकार को अपने बारे में जानकारी तो देनी ही है। ये राज्य सरकार की तरफ से दिया जा चुका है. इसलिए कंफ्यूजन में मत रहिएगा। एलायंस है लेकिन राजस्व विभाग किनके अधीन है। भारतीय जनता पार्टी के विधायक इस विभाग के मंत्री हैं। इन सब चीजों में असहमति से कोई बात नहीं होती है। राजस्व विभाग के माध्यम से इसे भेजा गया है, हमने इस पर हस्ताक्षर किया है। 15 फरवरी को पत्र भेज दिया गया है। सेंटर की तरफ से जो नोटिफिकेशन आया था उसके मद्देनजर जो कार्रवाई होती है वो हुई लेकिन उसके बाद इसमें शामिल नई चीजों को लेकर विमर्श हुआ। तब जाकर 19 जनवरी के बाद एक एक चीजों का आकलन और अध्ययन करने के बाद बातचीत हुई और इसके बाद फॉर्मल 18 दिसंबर 2019 को जो नोटिफिकेशन किया गया था वो बात सही है लेकिन इसमें किस प्रकार किया जाएगा इस बात का कोई उल्लेख नहीं है। वहां से जो पत्र आया है उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है। 7 अक्टूबर को केंद्र के द्रारा यहां के चीफ सेक्रेटरी को जो पत्र आया है उनमें इस बातों की कोई चर्चा नहीं है। इस बातों का कोई जिक्र नहीं है कि 2020 में जो एन0पी0आर0 होगा उसमें कौन-कौन मुद्दे होंगे। इससे पुराने नोटिफिकेशन का कोई संबंध नहीं है। जब इसकी पूरी जानकारी आई तो 2020 के बारे में जिन बातों की चर्चा हुई है उसकी औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है कि किस-किस आधार पर एन0पी0आर0 की सूचना एकत्रित की जाएगी।


हमलोगों के द्वारा जो पत्र लिखा गया है। उसके बारे में हम आपको बता देते हैं। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 एवं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 के प्रपत्रों के तुलनात्मक संलग्न विवरण से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 के प्रपत्रों में अतिरिक्त सूचना प्राप्त किया जाना है जिसका प्रावधान राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 के प्रपत्रों में नहीं किया गया था। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 से संबंधित प्रपत्र में प्राप्त किए जाने वाले सूचना संग्रहण एवं संकलन में संभावित कठिनाइयों को देखते हुए सम्यक समीक्षोपरांत राज्य सरकार का यह अभिमत है कि वर्तमान राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 के प्रपत्र में लिंग संबंधित विवरण क्रमांक 3 में ट्रांसजेंडर का समावेश जरुरी है। अब ट्रांसजेंडर का समावेश करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 में अंकित कंडिकाओं से संबंधित सूचनाएं ही प्राप्त की जाए। साफ तौर पर लिखा गया है। जिससे आम व्यक्तियों को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 का क्रियान्वयन सुगमता पूर्वक निर्धारित समय के अंतर्गत संपन्न हो सके। ये राज्य सरकार ने साफ तौर पर लिख कर संसूचित कर दिया है कि 2010 के आधार पर होना चाहिए। विदित हो कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 तैयार करने के संबंध में अनुसूचियों के माध्यम से सभी व्यक्तियों से जानकारी, सूचना एकत्रित करने हेतु पूछे जाने वाले प्रश्नों का विवरण अभी केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित नहीं किया गया है। जिसकी चर्चा हुई है अभी वह अधिसूचित नहीं है। अतएव अनुरोध है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 के अंतर्गत ट्रांसजेंडर की सूचना का समावेश करते हुए पूर्व में संपन्न किए गए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 के विहित प्रपत्र में अंकित मदों पर ही शेष सूचनाओं का संग्रह किये जाने के संबंध में ही अधिसूचना निर्गत की जाए। ये है हमलोगों का सरकार का व्यू। इसको लेकर तो कोई मतभेद नहीं है। हम तो अध्यक्ष महोदय से कहेंगे कि जो राज्य सरकार के द्वारा जो संसूचित किया गया है उसको यहां से सर्वसम्मति से पारित कर दिया जाए और इसको भी विधानसभा के माध्यम से भी संसूचित कर दिया जाए वहां कि ये सब लोगों की राय है। ये तो हमलोग राज्य सरकार की तरफ से कर चुके हैं।


एक तो एन0पी0आर0 के संबंध में जितनी बातें थी उसकी जानकारी दे दी है। अब जहां तक एन0आर0सी0 का संबंध है एक बात जान लीजिए, अब कौन-किसने बयान दिया। हमलोग पूर्व से कह रहे हैं कि एन0आर0सी0 की कहीं कोई बात नहीं है। इसके बारे में विस्तृत चर्चा किए बगैर हम सिर्फ प्रधानमंत्री जी को कोट कर देते हैं। 22 दिसंबर 2019 को दिल्ली में उनका भाषण है- ‘‘मैं भारत के 130 करोड़ लोगों को यह बताना चाहता हूं कि जब से 2014 से मेरी सरकार सत्ता में आयी है तब से लेकर अब तक एन0आर0सी0 के बारे में कहीं कोई चर्चा नहीं हुई है। हमें इसे सिर्फ उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन हेतु इसे असम में लागू करना था। एन0आर0सी0 इसका भी ऐसा झूठ चलाया जा रहा है। ये कांग्रेस के जमाने में बना था। हमने तो बताया नहीं एन0आर0सी0 के बारे में, पार्लियामेंट में आया नहीं, न कैबिनेट में आया है, न उसके कोई कायदे कानून बने हैं केवल हौवा खड़ा किया जा रहा है।’’ आप बताईये जब देश के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि एन0आर0सी0 के बारे में कोई निर्णय नहीं है, तो फिर एन0आर0सी0 के बारे में क्यों चर्चा करते हैं। देखिए कौन क्या बोले, हम तो आपको कोट कर रहे हैं। ये जो कोट किया हमने और हमलोग कि शुरु से राय है कि एन0आर0सी0 का कोई तूक नहीं है। हालांकि एन0आर0सी0 के लिए एमेंडमेंट पहले 2003 में ही हो चुका है लेकिन एन0आर0सी0 को लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। सिटीजनशीप एमेंडमेंट एक्ट में पहले से प्रावधान किया गया है। अगर आप जानना चाहिएगा उस समय का जो पार्लियामेंट से पास हुआ। उस समय तो इसके बारे में एक बात की चर्चा कर देना चाहता हूं मैं कि ये जो सिटीजनशीप एमेंडमेंट एक्ट है उस समय भी हमलोग लोकसभा में सरकार में शामिल थे लेकिन अपना विभाग को देखने की वजह से हर समय कोई लोकसभा के अंदर उपस्थित नहीं हो पाता है या राज्यसभा में नहीं बैठ पाता है, केवल अपनी ड्यूटी के हिसाब से बैठ पाता है। इतना ज्यादा काम जो रेलवे का काम था उसको देखते हुए उसके बाद भी हमने इसको भी पूरे तौर पर 19 जनवरी के बाद जो सिटीजनशीप एमेंडमेंट एक्ट-2003 का था, जो नोटिफाईड हुआ था प्रेसिडेंट के दस्तखत के बाद जनवरी-2004 में उसके बारे में डिटेल्ड हमने दोनों सदन का लोकसभा और राज्यसभा का और उसके साथ-साथ क्या प्रस्ताव था इसको भी देखा। स्टैंडिंग कमेटी में कौन-कौन लोग थे और उसमें कितनी मिटिंग हुई और उस मिटींग में किसने क्या-क्या कहा ये सारी बात, उसमें एक तो एन0आर0सी0 की बात है और दूसरी बात थी की बाहर हमारे जो सिटिजंस रहते हैं, उनकी सुविधा के लिए जो बातचीत थी, उसको लेकर सर्वसम्मति से पारित हुआ है। हमने 19 जनवरी 2019 के बाद का सबका स्टेटमेंट, भाषण और डाक्यूमेंट्स मंगाकर देखा है। कहियेगा तो उन सभी डाक्यूमेंट्स की कॉपी हम आपलोगों को दे देंगे ताकि आपलोग भी पढ़ लीजिये। कमिटी के चेयरमैन थे प्रणव मुखर्जी साहब, मेंबर्स थे कपिल सिब्बल साहब, हंसराज भारद्वाज जी, मोतीलाल बोरा जी, अंबिका सोनी जी, बी०पी० सिंघल जी, जनेश्वर मिश्रा जी, भी0 मैत्रेयन जी, श्री लालू प्रसाद जी, रामजेठमलानी जी, ध्रुपद बार्गोहीन जी, प्रमोद महाजन जी, श्री ए0 विजय गर्भन जी, एल0एम0 सिंघवी जी। अब कई लोग नहीं हैं। इनके अलावा लोकसभा में 15 से लेकर 44 तक नाम हैं। इनलोगों ने पारित करके दिया। सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट में जो कुछ भी था, सर्वसम्मति से लोगों ने दिया। यह सबसे पहले राज्यसभा में आया जिसमे दो ही लोग बोले, एक नेता विरोधी दल डॉ0 मनमोहन सिंह जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। मनमोहन सिंह जी ने अपने भाषण में कहा कि we are fully in support in this measure while i am on this subject madam, i would like to say something about the treatment of refugees after the partition of our country. The minorties in countries like bangladesh, have faced persecution and it is our moral obligation that if circustances force people these unfortunable people, to seek refuge in our country. Our approach to granting citizenship तो these unfortunable persons should be more liberal.i sincearly hope that the honourable deputy prime minister will bear this in mind in charting out the future course of action with regard to the citizenship act.

उस समय डिप्टी चेयरमैन नजमा हेपतुल्ला साहिबा थीं। उन्होंने कहा कि mr. Advani the minorties इन pakistan are also suffering . They have to be taken care of too.हम कोट एंड कोट प्रोसेडिंग पढ़ रहे हैं और सबकी सुविधा के लिए उसका हिंदी अनुवाद भी हम पढ़ देंगे। वही इसके बाद एल0के0 आडवाणी जी ने कहा- madam i fully endorse that view.डॉ0 मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में कहा था, हमलोग सरकार के इस कदम के पूर्ण समर्थन में हैं। इस विषय पर चर्चा के दौरान शरणार्थियों के साथ किये गये बर्ताव पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ। देश के विभाजन के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों ने उत्पीड़न सहा। यह हमारा नैतिक दायित्व है कि यदि परिस्थितियां इन बदकिस्मत लोगों को हमारे देश में शरण लेने के लिए बाध्य करती है तो इन बदकिस्मतो को नागरिकता देने में हमें उदार होना चाहिए। मैं आशा करता हूँ की माननीय मंत्री जी इनके विषय के बारे में फैसला लेते वक्त इस बात को ध्यान में रखेगें। इसके बाद उप सभापति कौन थी ये भी जानना चाहिए आप लोगों को, उस समय कांग्रेस में ही थी। श्रीमती नजमा हेपतुल्ला द्वारा आडवाणी जी को कहा गया की पकिस्तान में अल्पसंख्यक भी पीड़ित हैं। उनका भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। उप प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं इन बातों से पूर्ण सहमत हूँ। अब आप सोच लीजिये कि लोकसभा में जब ये राज्यसभा से पास होकर गया तो इस विषय पर तीन आदमी बोले। उसमें प्रियरंजन दास मुंशी जी- आई थैंक द गवर्नमेंट फॉर ब्रिंगिंग फारवर्ड दिस बिल। आई हैव स्ट्रांग कॉन्फिडेंस, दैट दिस बिल उड कंट्रिब्यूट टू टेक इंडिया टू ए ग्रेटर हाइट इन टर्म्स आॅफ आवर इकोनॉमी ऐंड टेक्नोलाॅजिकल एचीवमेंट्स। साथ ही श्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था एन0आर0आई0 को दोहरी नागरिकता की सहूलियत देने की बात हो रही है वह बिलकुल ठीक है। इस बिल को पारित कर देना चाहिए। अब ये बिल पारित हो गया। अब बताइये उसी में है एन0आर0सी0। 19 तारीख के बाद हम सब पढ़े। हमने 19 के बाद एक एक चीज को देखा हैं और तब भी मेरी राय है कि एन0आर0सी0 नहीं होना चाहिए। एन0पी0आर0 का जहाॅ तक सवाल है, 2010 का ही जो प्रावधान है, उसी को करना चाहिए। जो नया सी0ए0ए0 आया है, सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट जो बना है और इसमें जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान ये जो माइनाॅरिटी वाली बात कही गई। ये जो नया अमेंडमेंट एक्ट लोकसभा और राजयसभा ने पारित किया, ये सेन्ट्रल एक्ट है। कन्स्टीच्यूशन की चीज है, जो सुप्रीम कोर्ट में गया हुआ है। फैसला सुप्रीम कोर्ट से होगा कि ये संवैधानिक है या असंवैधानिक। हम सिर्फ आपको याद करा देना चाहते थे कि क्या राय थी डाॅ0 मनमोहन सिंह जी का जो दस साल देश के प्रधानमंत्री उसके बाद रहे इसलिए हम आग्रह करेंगे कि ज्यादा समाज में अनावश्यक रूप से विवाद नहीं पैदा किया जाए। जब सुप्रीम कोर्ट में मामला है तो सुप्रीम कोर्ट डिसाइड करेगा कि नया जो सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट है 2020 का, ये सही है या गलत है लेकिन जहां तक एन0पी0आर0 का सवाल है मैं तो यही कहूंगा की जो राज्य सरकार लिख करके भेजा है हम तो चाहेगें की पूरे सदन से उसकी सहमति करा दीजिये। इससे बेहतर बात नहीं हो सकती है। एन0आर0सी0 भी नहीं होगा और हम कहेगें की आप लोग निश्चिंत रहिये। हमलोग मिलकर चलेगें। हमलोग किसी भी कीमत पर समाज में किसी भी तबके की उपेक्षा नहीं चाहेंगे और उपेक्षा नहीं होगा।


अध्यक्ष महोदय जो पहले से ही हमलोगों ने कहा है एक फिर से जो रिजॉल्यूशन हमलोगों ने पिछले वर्ष 18 फरवरी 2019 को पास कर दिया है को पुनः हमलोगों को पूरी सहमति देकर इसे केंद्र सरकार को कम्यूनिकेट कर देना चाहिए कि जातीय आधारित जनगणना होनी चाहिए। हमलोगों ने पिछले ही साल किया था 18 फरवरी को बिहार विधानसभा, बिहार विधान परिषद दोनों का संकल्प वहां सूचित किया गया, एक बार फिर कर दीजिए, यह हम आग्रह करेंगे। हम जातिय आधारित जनगणना के बारे में कह देना चाहते हैं कि मेरा इस बारे में कोई आईडिया नहीं था। जब हम केंद्र में वी0पी0 सिंह जी की सरकार में हम राज्यमंत्री थे, तो एक दिन फोन आ गया कि भूतपूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह साहब हमसे मिलना चाहते हैं। फिर मैं सोचने लगा कि भूतपूर्व राष्ट्रपति हमसे मिलना चाहते हैं। हम जिस घर में रहते थे उससे दो घर आगे घर उनको मिला हुए था। हम दोपहर में खाना खाने के लिए घर पर आए ऑफिस से और हम तुरंत उनके पास चले गए और उनके पास 45 मिनट रहे। उन्हॉंने ही मुझे बताया कि आप जानिए जातीय आधारित जनगणना होनी चाहिए। तो मुझे पहली बार इसका एहसास हुआ। जब उन्होंने बताया तब हम तुरंत अपने नेता मधु लिमये साहब के यहां चले गए और वहां पर मधु दंडवते जी वहीं बैठे हुए थे। वहीं हमने चर्चा की कि ऐसा कहा है ज्ञानी जैल सिंह साहब ने, तो हमने कहा कि ये होना चाहिए या नहीं, तो उन्होंने कहा कि हां, ये होना चाहिए। तुम लिख दो प्राइम मिनिस्टर को, और हमने पीएम को पत्र लिखा और मिलकर के भी कहा लेकिन उसके बाद उन्होंने कहा कि इस बार इसमें विलंब हो गया है इसलिए इस बार यह नहीं हो सकता है। 1931 के बाद जातीय आधारित जनगणना नहीं हुई है। 2010-11 में भी पूरा डिमांड था, नहीं कर सके। अलग से इनलोगों ने सोशियो इकोनॉमिक कॉस्ट सेंशस करने की कोशिश की। वो इस प्रकार से नहीं हुआ कि अलग-अलग जातियों कि क्या जनगणना है, इसका नोटिफिकेशन नहीं हो सका इसलिए हमलोग तो चाहेंगे कि 1931 में हुआ है, एक बार और हो और विधानसभा और विधान परिषद दोनों ने अपना अपना संकल्प अधिसूचित किया है, चूॅकि यह काम शुरु होने वाला है तो जातीय आधारित जनगणना के बारे में भी प्रस्ताव पुनः केन्द्र सरकार को भेज दें ताकि इस पर कुछ हो।

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