*बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर की भक्ति में खोये महामहीम राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द। हर खबर पर पैनी नजर।*

महामहीम के लिए सुरक्षा की अभूतपूर्व व्यवस्था

एक बजकर पांच मिनट पर पहुँचे कुंडा एयरपोर्ट, 4 बजे रांची के लिए रवाना

बाबा मंदिर के गर्भ गृह में की पूजा अर्चना।

संजीव मिश्रा

रांची/देवघर:- देश के महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का शनिवार को बाबा नगरी देवघर आगमन हुआ। दोपहर के 1.05 बजे महामहिम राष्ट्रपति वायु सेना के विशेष विमान से कुंडा स्थित एयरपोर्ट पहुंचे, वही राष्ट्रपति के अलावे उनके साथ झारखंड के महामहिम राज्यपाल द्रोपति मुर्मू भी थी। वही हवाई अड्डा पर उनके स्वागत के लिए झारखण्ड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के अलावे संथाल परगना के आयुक्त अरविंद कुमार,डीआईजी आरके लकड़ा, देवघर डीसी नैंसी सहाय ,एसपी नरेंद्र सिंह सहित कई वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पत्नी के साथ बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति को बाबा मंदिर में तीर्थ पुरोहित ने विधि-विधान से पूजा कराई। लगभग आधे घंटे तक राष्ट्रपति ने बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना की। राष्ट्रपति के कार्यक्रम को लेकर उनकी सुरक्षा के मद्देनजर सुबह 10.30 बजे से उनके जाने तक मंदिर में आम लोगों के लिए पूजा-अर्चना पर प्रतिबंध रहा।

2016 के बाद अब मेरी यहां आने की प्रतीक्षा पूरी हुई
राष्ट्रपति ने कहा कि जब मैं बिहार का राज्यपाल था तब रांची तक आया था। उस वक्त भी अशोक भगत से मुलाकात हुई थी। बिशुनपुर के बारे में मैंने बहुत कुछ सुना था। उस वक्त मैंने कहा था कि अगली बार जब मैं आऊंगा तो बिशुनपुर जाउंगा। लेकिन ऐसा संयोग बना कि 2016 के बाद 2017 में मैं बिहार से दिल्ली पहुंच गया। 2018 में मैं फिर रांची आया। यहां अशोक भगत से मुलाकात हुई तो मैंने उनसे कहा कि मेरा बिशुनपुर का कार्यक्रम अधूरा है। मैं चलना चाहता हूं। तब अशोक भगत ने कहा कि जब भी आप बताएंगे, मैं चलूंगा। 2019 में राष्ट्रपति होने के नाते प्रत्येक प्रदेश में अधिक से अधिक तीन बार जाना होता है। व्यवहारिक दिक्कतें हैं। वैसे भी 30 प्रदेश हैं, छह केंद्र शासित प्रदेश हैं, जाना है तो सभी में जाना है, सभी अपने हैं। इसलिए मैंने फिर से 2019 में कार्यक्रम बनाया कि मैं बिशुनपुर जाउंगा। आपको पता है कि जब मैं रांची आया, कार्यक्रम भी बन चुका था लेकिन बारिश के चलते कार्यक्रम रद हो गया। मुझे दो दिन तक रांची में रूककर प्रतीक्षा करनी पड़ी। 2016 से जिसके लिए मैं प्रतीक्षा कर रहा था, वो आज पूरी हुई, इसकी मुझे खुशी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि झारखंड त्याग, बलिदान, संघर्ष और स्वाभिमान की धरती है। ये मानवीय गुण सभी जगह नहीं होती। भारत की भूमि का अपना अलग महत्व है। यहां के वीरों ने आनेवाली पीढ़ी और हम सबके लिए प्रेरणा दी है। उनके प्रेरणा से हम सीख सकते हैं तो सीखेंगे। जो नहीं सीखना चाहता वो न तो भूतकाल से सीखता है और न वर्तमान से। जो नहीं सीखना चाहते वो पड़ोसी से भी नहीं सीखते हैं। कुछ लोग जानबूझकर भी अनजान बनते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर मेरी कोई बात आपको अच्छी लगती है तो आप उसे अपना लीजिए। लेकिन किसी से ये मत कहिए कि ये गांधी ने कहा है। आप इसे कहिए कि मैंने कहा है क्योंकि वो बात आपके आचरण में आ जाती है।

आदिवासी समुदाय के बारे में राष्ट्रपति ने कहा…
राष्ट्रपति ने कहा कि शुक्रवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम से लौटने के दौरान मैंने देखा कि रास्ते में एक जगह आदिवासी समुदाय के बच्चे, बूढ़े, महिला बैठे हैं। वे सभी मुझे देखने के लिए बैठे थे। मैंने प्रोटोकॉल तोड़कर गाड़ी रुकवायी और उनसे मिलने पहुंचा। मुझे आदिवासी समुदाय को नजदीक से देखने और जानने का मौका मिला। राष्ट्रपति ने कहा कि मंच पर बैठे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू इसी समुदाय से आते हैं, इन्हें मैं सालों से जानता हूं और मिलता रहा हूं।

सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से 2 आईपीएस अधिकारी 10 डीएसपी रैंक के अधिकारी 40 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल की व्यवस्था की गई थी वही बम स्क्वायड, डॉग स्क्वायड और एटीएस की टीम भी महामहिम राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे। वही रास्ट्रपति तकरीबन 4 बजे रांची के लिए रवाना हो गए।

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