*सोहराय पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य बेजुबान गाय- बैल को खुश करना है। हर खबर पर पैनी नजर।*

संजीव मिश्रा

भागलपुर/बांका:- एक ऐसा भी क्षेत्र है जानवरों को खुश करने के लिए लोग पर्व मनाते हैं वो भी धूमधाम से । जी हां आज हम भागलपुर के पडोसी जिले बांका व गोड्डा जिले में पर्व मनाए जाने को लेकर बात करेंगे । आदिवासियों का प्रमुख पर्व सोहराय (वन्दना)को लेकर बांका व गोड्डा जिले के कई प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जा रहा ।

इस पर्व के संबंध में जीत नारायण टूडू एवं कार्तिक मुर्मू ने बताया कि सोहराय पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य गाय- बैल को खुश करना है। गाय और बैल बेजुबान होते हैं और उनकी मेहनत से ही खेतों में फसल तैयार होता है। उनके साथ खुशियों को बांटने के लिए पर्व मनाया जाता है। इसके अलावा हर वर्ष फसल अच्छा हो, इसको लेकर भी पर्व मनाया जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में यह पर्व अलग-अलग तिथि में मनाया जाता है।जीतनराम टुडू ने कहा कि प्रखंड के 60 गांवों में यह पर्व 10 जनवरी को गोड़ टंडी में पूजा के साथ शुरू होगा। 11 को गोहाल पूजा, 12 को खोन्टवा, 13 को जाली एवं 14 जनवरी को सिंदरा करकाट (हा

कू काटकोमा) के साथ पर्व मनाने के बाद मकर सक्रांति को लेकर पूरा आदिवासी समाज कालांतर से ही जंगल में जाकर शिकार करते है. शिकार किए हुए जानवर को गांव के प्रधान कोन ले जाकर सुपुर्द करते हैं .जहां खिचड़ी पकाकर एक दुसरे खिलाने के साथ सोहराय पर समापन्न होता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जो भी संथाल आदिवासी समाज के लोग बाहर में सरकारी नौकरी में है उन्हें 5 दिनों की छुट्टी बिहार सरकार सोहराय पर्व के लिए दे।

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