*भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल का बयान, भ्रष्टाचार का अड्डा है प्रदेश का अंचल कार्यालय। हर खबर पर पैनी नजर।*

संजीव मिश्रा

बिहार/भागलपुर:- भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने काफी कड़वी बातें कही है। लेकिन काफी सत्य बातें भी कही है।
अपर समाहर्ता एवं भूमि सुधार उप समाहर्ताओं की कार्यशाला में प्रदेश के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने प्रदेश के अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में कहा कि इन कार्यालयों में जानबूझकर खाता,खेसरा,रकबा,नाम गलत किया जाता है और उसे ठीक कराने के लिए लोगों को दौड़ाया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि बहुत सारे ऐसे अफसर हैं,जिन्हें अपने मूल काम में कोई दिलचस्पी नहीं है।

प्रदेश सरकार के मंत्री रामनारायण मंडल ने भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अंचल कार्यालय और अंचलाधिकारी समेत अंचल कार्यालय के कर्मचारियों के बारे में जो कुछ भी कहा,सुशासन बाबू के राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार की सच्ची तस्वीर बयां करती है।आज पूरे प्रदेश के अंचल कार्यालय की स्थिति ठीक वैसी ही है,जैसा कि विभागीय मंत्री रामनारायण मंडल ने स्वीकार किया है।यह कार्यालय पूरी तरह दलालों के चंगुल में है।आज के समय में अंचल कार्यालय की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी है कि यहां अधिकारी, कर्मचारी और दलालों की मिलीभगत से रजिस्टर टू के पन्ने फाड़कर गायब कर दिए जाते हैं।रसीद कटवाने, ऑनलाइन नाम चढ़ाने में लोगों के नाम,पता या खाता-खेसरा नंबर,कुछ भी जानबूझकर गलत कर दिया जाता है।अधिकारी ज्यादातर अपने कार्यालय से गायब मिलते हैं और यहां के कर्मचारियों की भी ऐसी ही स्थिति है।

नतीजा अंचल कार्यालय में एक काम के लिए सैकड़ों बार चक्कर लगाना पड़ता है।जबकि वहीं दूसरी ओर कार्यालय में मौजूद दलालों के माध्यम से वह काम काफी आसानी से हो जाता है।जिसके एवज में दलाल भूस्वामी से मोटी रकम ऐंठते हैं। कार्यालय में कर्मचारी और अधिकारी के अनुपस्थित रहने की वजह से बार बार वहाँ चक्कर लगाने से बचने के लिए भूस्वामी मजबूरन दलालों को मोटी रकम देते हैं।जिसमें अंचलाधिकारी एवं कार्यालय के कर्मचारियों का भी हिस्सा होता है। सरकार के मुखिया प्रदेश में सुशासन का दंभ भरते हैं।प्रदेश का निगरानी विभाग कुछ एक मामलों को देख, खानापूर्ति कर चैन की बंसी बजा रहा है।क्या हमारे सरकार या फिर प्रदेश के निगरानी विभाग को नहीं पता है कि कहां-कहां भ्रष्टाचार होता है और कहां भ्रष्टाचारी रहते हैं।निःसंदेह प्रदेश का एक आम आदमी भी जानता है कि अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा है। एक आम आदमी को भी पता है कि अंचलाधिकारी और अंचल कार्यालय में पदस्थापित एक मामूली कर्मचारी की आय भी तनख्वाह से कई सौ गुना अधिक होती है।यदि निगरानी विभाग अंचलाधिकारी और अंचल कार्यालय में पदस्थापित कर्मचारियों के सम्पत्ति की जांच करे तो शायद ही अंचल कार्यालय के ऐसे कोई अधिकारी या कर्मचारी हो जो जेल जाने से बचे।परंतु अफसोस सरकार सब कुछ जानते हुए भी मौन है।इस पाप का हिस्सा कहीं ऊपर तक तो नहीं जाता ये तो जांच का विषय है,लेकिन सबसे बड़ा सवाल आखिर जांच के आदेश देगा कोंन? लगभग पूरे प्रदेश की अंचलकार्यालय की हालत ऐसी है। कुछ अंचलाधिकारी तो ऐसे हैं जो भूमाफिया का भी काम करते हैं। कुछ हल्का कर्मचारी ऐसे हैं कि पैसे लेकर भी रसीद नहीं काटते हैं, । स्थिति ये है जी एलपीसी बनवाने के 1000 से लेकर 2000 तक लेते हैं। बरहाल मंत्री रामनारायण मंडल जी ने सही बात कही है,आखिर कैसे कहा जाय कि बिहार में सुशासन का राज है।

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