*डॉ.के साथ -साथ कवि व लेखक भी, अबतक तीन पुस्तक हो चुकी प्रकाशित। हर खबर पर पैनी नजर।*

संजीव मिश्रा

भागलपुर/सबौर:- आज की वर्त्तमान स्थिति चिकित्सा जगत की काफी खतरनाक स्थिति में पहुँच गयी है। देखा जाय तो ऐसे कई लोग इस इस जगत में मिल जाएंगे जो डॉक्टर के पेशे को अब व्यवसाय के रूप में देखने लगे हैं । ऐसी मानसिकता हो गयी है कैसे रोगी से अधिक से अधिक धन उपार्जन किया जाय। कभी कभी तो ऐसी स्थिति आती है कि मौत के बाद भी दो से तीन दिन रखकर पैसे उगाई का खेल चलता रहता है । भागलपुर जिले की स्थिति भी किसी से कुछ छिपी नहीं है । यहां भी आये दिन रोगी व डॉक्टरों के बीच नोक झोंक होते रहती, मारपीट तक नौबत आ जाती है। अगर हम सरकारी क्षेत्र की भी बात करें तो वहां की स्थिति तो और भी दयनीय व सर्वनाक है ।

वहां मरीजों की क्या दसा होती है , हम सभी जानते हैं।ऐसे माहौल में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस जगत में अपने को मजबूती से बनाये हुए हैं । आज हम भागलपुर जिले के डॉ. कुमार गौरव की बात करेंगे जो अपने अपने व्यक्तित्व क्षमता अपने कुशल व्यवहार,सेवा भाव को लेकर जाने जाते हैं । जी हां हम बात कर रहे हैं भागलपुर के डॉ. कुमार गौरव की।
जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर के सीएमएस हाई में हुई। इन्होंने कॉलेज इंटरमीडिएट की पढ़ाई टीएनबी कॉलेज से की। इन्होंने फाइनली रिम्स रांची से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात दरभंगा मेडिकल कॉलेज से ‘एमडी ‘ की डिग्री हासिल की । कई जगह इन्होंने नौकरी भी की, किंतु वर्त्तमान में अभी भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं । साथ ही साथ चुकी वो सोनोलॉजिस्ट हैं तो सबौर स्थित ब्लॉक चौक पर अपना क्लिकनिक भी चलाते हैं।


इनके परिवार की बात करें तो खुद इनके पिता स्व.आर. एन सिंह कृषि कॉलेज सबौर में प्रोफेसर थे । इनके बड़े व छोटे भाई भी वर्तमान में डॉक्टर हैं साथ ही एक भाई इंजीनियर है । कुल मिलाकर घर के माहौल से काफी कुछ सीखने का मौका मिला ।
शुरू से ही इनके अंदर सेवा भाव रहा है। जब बाढ़ की स्थिति आती है तो रोगियों के अल्ट्रासाउंड से लेकर कई तरह के सलाह मुफ्त में देते हैं । ऐसा भी होता है जिनके पास देने के लिए कुछ नही होता उनसे कुछ लेते भी नही हैं, उसके विपरीत अपने पॉकेट से पैसे निकालकर भी जरूरतमंद को दे देते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व बैजलपुर अंतर्गत शिवाईडीह गांव में शिविर लगाकर करीब 200 से 300 रोगियों को देखा ,यही नही खुद से ये शिविर में रहे भी अपने साथ तीन से चार डॉक्टरों को भी ले गए । साथ ही साथ दवाइयों को भी मुफ्त में बांटा। आज भी बैजलपुर पंचायत अंतर्गत शिवाईडीह गांव के लोग डॉ.कुमार गौरव को याद करते थकते नहीं हैं ।
सबसे अच्छी बात की ये काफी मृदुभासी है। इस मुकाम पर पहुचकर भी कभी घमंड नाम का चीज नही आया इनके अंदर । सबो के मदद के लिए हमेशा तैयार हो जाते हैं चाहे दिन हो या रात । डॉक्टर साहब युवा होने के साथ एक सरल इंसान भी हैं जो किसी भी पार्टी समारोह, उत्सव या किसी पर्व त्यौहारों में बुलावे के बाद निश्चित रूप से उपस्थित होते हैं । उस वक्त डॉ. गौरव ये कभी नहीं देखते की बुलाने वाला गरीब है या अमीर ।
ठीक इसके विपरीत ये गलत बर्दास्त भी नही करते चाहे कोई भी हो । एक बार तो खुद तत्कालीन एसडीएम कुमार अनुज से भीड़ गए क्योकि इनके साथ एसडीएम द्वारा बदसलूकी की गयी थी। एसडीएम रहे कुमार अनुज के ऊपर इन्होंने प्राथमिकी भी दर्ज करवा दी, ये जानते हुए की वो एसडीएम है पावर है उनके पास। आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी के सामने झुकने वालों में से नहीं हैं, अर्थात किसी भी स्थिति में वो गलत बर्दास्त नहीं करते हैं। अपने दोस्तों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं डॉ. साहब । सबो को वे समान दृष्ट्री से देखते हैं मन मे कोई भेदभाव नही ।अपने जिलेवासियों के लिए हमेशा अच्छा सोचते रहते हैं। यही कारण है कि भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में मेडिकल रिसर्च चालू करने के लिए ICMR हैदराबाद IISC बेंगलुरु एवं CIRA क्योटो जापान से लागातार प्रयासरत हैं , ताकि भागलपुर भी मेडिकल रिसर्च में हब सेंटर बने।
ये लेखक के साथ-साथ कवि भी हैं, अबतक उनकी ‘तीन पुस्तक’ प्रकाशित हो चुकी हैं ,एहसास की कस्ती, काला इन्द्रधनुष और एहसासों की जंग और रंग । उनके लिखे पुस्तक को लोगों ने काफी सराहा भी ,स्थिति ये रही कि प्रकाशित होते होते आउट ऑफ स्टॉक हो गई थी।
अब वो 2019 में अपने वैवाहिक जीवन मे भी बंध गए हैं । उनकी पत्नी भी संयोगवश डॉक्टर ही है।

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