रमेश शंकर झा
समस्तीपुर:- जिले के पूसा में कवि कोकिल, मिथिला और मैथिली के ह्रदय सम्राट, सामान्य जनमानस के रोम -रोम में रचे-बसे महाकवि विद्यापति के धार्मिक गीतों की प्रासंगिकता सदा -सर्वदा रहेगी। चाहे गावं में गाने वाली सुबह -सुबह की “प्राती” हो या फिर भगवान शिव, राधाकृष्ण और माता काली के लिए हर स्त्री पुरुष के जुबां पर गुंजायमन “जय जय भैरवी असुर भयाओनी, पशुपति भामिनी माया” व “कखन हरब दुःख मोर हे भोलानाथ” जैसे पवित्र गीत सबकुछ अतुलनीय ,अविस्मरणीय और अलौकिक है। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति डॉ० आरसी श्रीवास्तव ने केएसआर कॉलेज, सरायरंजन के अंग्रेजी के प्राध्यापक व पत्रकार डॉ० राजीव कुमार झा के लिखित व समय प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक “क्रिटिकुईंग जॉन डन एन्ड विद्यापति इन डिवोशनल पोएम्स” का लोकार्पण करते हुए उक्त उदगार व्यक्त किए। उन्होंने लेखक को मैथिली और अंग्रेजी के कविओं की तुलना करने की प्रशंशा करते हुए कहा कि इससे मैथिली भाषा और साहित्य के साथ हीं महाकवि विद्यापति की रचनाओं को ग्लोबली प्रसार भी मिला है। जो स्थान अंग्रेजी में महाकवि जॉन डन का है वही स्थान मैथिली में महाकवि विद्यापति का भी है।
वहीं डॉ० श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह लीक से अलग हटकर की गयी रचनाओं को संरक्षित करने के साथ हीं सम्पूर्ण विश्व में ख्याति दिलाने की जरुरत है ताकि दुनियां के अन्य मुल्क के लोग भी यहाँ की रचनाधर्मिता को जाने और समझें। इस मौके पर अतिथियों ने कहा कि दो अलग -अलग विचारों, संस्कृति, भाषा, काल व परंपरा के विद्वान कवियों की धार्मिक कविताओं का तुलनात्मक अध्ययन ने अंग्रेजी भाषा व साहित्य को समृद्ध बना दिया है । पूर्णतः पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति में रचे-बसे कवि जॉन डन की धार्मिक कविताओं को मैथिली भाषा व साहित्य के महान कवि विद्यापति की धार्मिक कविताओं से तुलना ने एक नई विषय वस्तु पश्चिम के लेखकों व विद्वानों को उपलब्ध कराया है। दोनों कवियों की रचनाओं की इस तुलना से साहित्य दुनिया में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। इससे अंग्रेजी साहित्य की दुनिया समृद्ध हुईं है। मौके पर कुलसचिव डॉ० पीपी श्रीवास्तव, निदेशक अनुसंधान मिथिलेश कुमार, लाइब्रेरियन डॉ० राकेश मणि शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ० मृत्युंजय कुमार, डॉ० ब्रजेश शाही, डॉ० कुमार राज्यवर्धन मौजूद थे।