** आंचल थाम लिया है तुमने इतना ही आधार बहुत है:-दीदी माँ ॠतंभरा।
राम जी का मंदिर बनेगा धूमधाम से, यहीं तो हमारा संकल्प था:- साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा
विधायक अवधेश सिंह ने कथा श्रवण कर दीदी माँ ॠतंभरा से लिया आशीर्वाद।
रमेश शंकर झा
समस्तीपुर बिहार।
हाजीपुर:- विश्व विख्यात श्रीमद्भागवत कथा ममर्ज्ञी साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा ने कहा कि जीवन में शब्द का बहुत महत्व है। आज लोगों के बीच भावों की रसधार का अभाव है । भाव संबंध नहीं होने पर पति-पत्नी भी एक दूसरे के लिए बोझ समान है । क्योंकि शरीर का आकर्षण ज्यादा समय तक नहीं चलता। आज संबंध को यूज किया जा रहा है । दुनिया में सब दुःखी है लेकिन एक दूसरे को क्षद्म रूप से सुख देने में व्यस्त हैं। ब्रहालीन बाबा पशुपतिनाथ महाराज की की तप भूमि धर्मनगरी चांदी धनुषी में आयोजित श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ के दरम्यान आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा के व्यासपीठ से उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं से मुखातिब होते हुए दीदी माँ ॠतंभरा ने कहा कि धर्म आत्मा का अनुसंधान है । यह क़ोई व्यापार नहीं है । लेकिन आज यह व्यापार बन गया है, वह भी सबसे सस्ता। उन्होंने कहा कि एक महापुरुष किसी मानव या गांव का उद्दार नहीं कर सकते जब तक कि पूरा गांव महापुरुष न बन जाए । प्रसन्नता का अभाव के लिए प्रकृति दोषी नहीं है। पदार्थ व सुविधाओं से ज्यादा हमें संबंधों के भाव में निश्चछलता की आवश्यकता है । वर्तमान परिवेश पर चर्चा करते हुए कहा कि लम्हों की सजा के लिए सदियों की खता ऐसा होना चाहिए क्या,लेकिन आज भारत की लाखों महिलाओं के साथ ऐसा ही हो रहा है। दंड देने में ताकत लगती है,माफ करने के लिए तो उदारता की आवश्यकता है । अपनों को जब माफ करो तो दिल से करना। सनातन धर्म की महिमा हैं कि पत्थरों में भी प्राण डाल सकते हैं । सारी सृष्टि को सुरक्षित रखना है तो सनातन धर्म का पालन करना ही होगा।
राज हरिश्चंद्र के प्रसंग की चर्चा करते हुए सनातन धर्म की संस्कृति रही है कि रघुकुल रीत सदा चली आएं जान जाय पर वचन नहीं जाएं।उन्होंने व्यासपीठ से आह्वान किया कि सृष्टि को कुछ देकर जाना ताकि आने वाली पीढ़ियां बेहतर तरीके से रह सके। गज ग्राह की धरती को महान बताते हुए दीदी माँ ॠतंभरा ने कहा कि गजेन्द्र की महिमा को तो पूरी दुनिया जानती है। गजेन्द्र …आंचल थाम लिया है तुमने इतना ही आधार बहुत है। बलि व भगवान वामन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि घमंड रहने पर उसका नाश हो जाता है। इसलिए हमेशा मनुष्य को छोटा बनकर रहना चाहिए। श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानों सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। मौके पर मुख्य यज्ञमान अमरेन्द्र कुमार सिंह, व्यवस्थापक सत्येन्द्र सिंह राणा,अरूण झा,आचार्य धर्मवीर,सचिन वशिष्ठ,मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, रविन्द्र कुमार सिंह,अलका सिंह,सत्येन्द्र सिंह,अर्पिता चौहान सहित अन्य लोग मौजूद रहे।इधर हाजीपुर के विधायक अवधेश सिंह ने कथा श्रवण कर दीदी माँ ॠतंभरा से आशीर्वाद लिया।
०२. *दीदी माँ ॠतंभरा के भजनों पर झूमें श्रद्धालु, भक्ति की सरिता में लगाएं गोते।*
हाजीपुर:- श्रीमद्भागवत कथा के दरम्यान साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा ने अपनी अमृतमयी वाणी से ” गज ग्राह कि धरती को नमन व कालजयी घटनाक्रम का संस्मरण करते हुए” हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे,श्रीमन् नारायण नारायण हरि हरि,आंचल थाम लिया है तुमने इतना ही आधार बहुत है, तेरे द्वार खङा भगवान, भये प्रकट कृपाला, आज अयोध्या की गलियों में नाचे योगी मतवाला … आदि भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।
उपस्थित लोगों ने भक्ति रस की सरिता में गोते लगाएं। इस मौके पर मुख्य यजमान अमरेन्द्र कुमार सिंह, व्यवस्थापक सत्येन्द्र सिंह राणा, अरूण झा, आचार्य धर्मवीर, सचिन वशिष्ठ, मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, रविन्द्र कुमार सिंह, अलका सिंह, सत्येन्द्र सिंह, अर्पिता चौहान सहित अन्य लोगों की सक्रियता धार्मिक भाव को प्रतिबिंबित कर रही है।
०३. *श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ में उमङ रही श्रद्धालुओं की भीड़ , देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनी आकर्षण का केंद्र *
हाजीपुर:- धर्म प्रचारक संघ के तत्वावधान में आयोजित श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को भक्त -श्रद्धालुओं का हुजूम महायज्ञ स्थल पर उमङ पङा।भक्त-श्रद्धालुओं ने महायज्ञ पर बनाये गए विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हुए यज्ञ मंडप की परिक्रमा में तल्लीन दिखे। करीब 70 एकङ में फैले यज्ञ स्थल में मेला सरीखा परिदृश्य प्रतिबिंबित हो रहा है।बच्चों व महिलाओं के लिए मीना बाजार,झूला,ब्रेक डांसिंग झूला,मौत का कुआं सहित अन्य उपयोगी मनोरंजक प्रसाधन उत्साहवर्धन कर रहे हैं।
वहीं श्रद्धालुओं के लिए आयोजित विशाल भंडारा में प्रतिदिन करीब 15 हजार लोगों के प्रसाद स्वरूप भोज की व्यवस्था की गयी है । इधर साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा के श्रीमुख सहित नई दिल्ली से पधारे व्यवस्थापकों के लिए खेतों में बनाएं गए अत्याधुनिक स्विस काॅटेज आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं, तो असम के तिनसुकिया से पधारे संत कमश बाबा उर्फ बिरालाल बाबा द्वारा जनकल्याण को लेकर सीने पर कलश प्रतिस्थापित कर निर्जला उपवास रखने की धार्मिक आस्था लोगों के बीच चर्चा में बनी हुई है।