रामकथा के अंतिम दिन भाव विभोर हुए श्रोता
मणि भूषण
समस्तीपुर:- जिले के विभूतिपुर प्रखंड के सीमावर्ती गांव सोहिलवारा में चल रही राजन जी महाराज के मुखारबिंद से नौ दिवसीय रामकथा के अंतिम दिन मंगलवार को वातावरण काफी भावुक हो गया । रामकथा का रसपान कर रहे श्रोता भाव विभोर हो गए । विदाई की बेला भांपते हुए जहां श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं, वहीं खचाखच भरे पंडाल में मंत्र मुग्ध बैठे श्रद्धालुओं को देखकर राजन जी महाराज भी भावुक हो गए ।
अपने आशीर्वचन में उन्होंने इतना कहा कि आप लोग खुश रहो, खुश रहो, खुश रहो । परमात्मा आपको हमेशा प्रसन्ना रखे । सत्य, प्रेम और करुणा बनी रहे । साथ ही वादा किया कि अगर, ईश्वर की कृपा हुई तो फिर हम और आप बहुत जल्द मिलेंगे और राम कथा गाएंगे । राम कथा पूरे प्रवाह में थी । श्रोता मंत्र मुग्ध होकर सुंदर काण्ड में राम की लीला को आत्मसात कर रहे थे । 9वें और अंतिम दिन उन्होंने कहा कि वनवास के दौरान राम ने कई आसुरी शक्तियों को निर्वाण दिया । सीता का हरण होने के बाद हनुमान, सुग्रीव, अंगद जैसे योद्धा रामकाज के लिए उनसे जुड़े । हनुमान जी सीता माता का पता लगने के बाद लंका कूच करने के लिए समुद्र के किनारे पहुंचे । रामेश्वरम की पूजा करने के साथ ही तीन दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद भी सागर की ओर से कोई पहल नहीं हुई, तो राम ने उसका अहं तोड़ने का इरादा किया । इस बात को भांपते हुए घबराया समुद्र देवता शरणागत हो गए । उसने सेतु बनाने का सुझाव दिया ।
लंका पर चढ़ाई कर अन्य राक्षसों का वधोपरांत राम ने 31 बाण चढ़ाकर रावण को निर्वाण दिया । इसके बाद पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचे । मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राजतिलक हुआ । जनता मेें जो जिस रूप में था, वे उनसे उसी रूप में मिले । जयकारे के साथ संपूर्ण पंडाल व क्षेत्र श्रीराम नाम से गुंजायमान हो गया । कार्यक्रम के अंत में राजन जी महाराज को लोगों ने सम्मानित किया । मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष नवल किशोर झा, संचालक सह कोषाध्यक्ष मन्ना झा, सचिव सरोज ठाकुर, शंभू झा, अजय पासवान, शत्रुध्न महतो, शीतेश, रितेश, मनोज, टूनटून समेत हजारों की संख्या में भक्तजन मौजूद रहे ।