रमेश शंकर झा
कॉल बेल बजी लगता है भैया आ गए, कहते हुए अंकिता ने दरवाजा खोला। ईश्वर मेरा चश्मा लाया क्या? माँ ने पुछा नहीं माँ कल ला दुँगा, यह कह कर ईश्वर आगे बढ़ गया।
किचन में खाना बना रही पत्नी रमा हाथों में चाय का कप पकड़ाते हुए धीरे से बोली राशन का कुछ ईंतजाम हुआ? ईश्वर चुप रहे…शुन्य में देखते हुए बस बाल्कनी से चाय पर चाय मँगवाते रहे।दिन भर पहली बार लगातार चलने की थकान उनका चेहरा और पैर बयान कर रहे थे। तीन बार चाय मँगा चुके ईश्वर को चौथी बार अंकिता गर्म पानी और इक कपड़ा देकर नम आँखो से बस इतना ही कह पाई “भैया कब तक चाय के कप से पैर सेंकोगे?????”
बहन जा चुकी थी…ईश्वर के दिल पर रखा पत्थर आँखों से निकल पड़ा। आज ईश्वर की नौकरी का पहला दिन था।
बिना सोचे समझे कैरीयर चुनने का दर्द अब समझा जब इसका अनुभव हुआ। अक्सर युवा वर्ग यही गलती करते हैं.वह अपना कैरीयर अपने अनुसार नहीं बल्कि अपने दोस्तों और सुविधा के अनुसार चुनते हैं।
इसके कारण हम एजुकेशन तो कर लेते हैं पर ज्वाईनिंग के समय हम सच के धरातल पर आते हैं।
अंतरमुखी स्वभाव
वाले सेलिंग से और सफल वक्ता सिटींग जॉब से दूर भागते हैं। कोई कम प्रतिशत से आगे निकल जाता है और टॉप कर के भी कोई पीछे रह जाता है। जॉब और जिंदगी में सामँजस्य हो तो जिंदगी संवर जाती हैं पर ऐसा ना हो तो बिगड़ जाती है। तब लोग किसी अन्य कोर्स ईत्यादी का रुख करते हैं या तकदीर को कोसना शुरू करते हैं।
दोस्तों- दोस्ती कुदरत का नवाजा एक अनमोल तोहफा है, पर इसका उपयोग समय बिताने के लिए नहीं समय और भविष्य बनाने के लिए करें।
कैरीयर चुनने के पहले आपकी रूचि, कॉलेज, एवं अपने परीजन की फिनान्शियल स्टेटस को अवश्य ध्यान में रखें।
अपनी पसंद और रूचि के विषय में सफलता की संभावनाएं बढ़ जातीे हैं और जो भी कैरीयर चुने उसका हर तरह से अवलोकन करें। ईंटरनेट का सदुपयोग करें एवं संबंधित जानकार लोगों से मिल कर मदद लें।
समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो इत्यादी में कैरीयर संबंधी कॉलम या प्रोग्राम आते हैं इनसे खुद को जोड़े…
जिंदगी आपकी है, आपके चुने रास्तों पर आपको ही चलना है और आप से बेहतर आपको कोई समझ नहीं सकता तो क्यों ना सोच समझ कर उत्तम निर्णय के बाद ही अपना कैरीयर चुनें ताकि आपके चुने रास्ते के कारण ना सिर्फ आपको परीजन आप पर फक्र महसुस करें। बल्कि आप दुसरों को भी पथप्रदर्शित करने हेतु सफल कदमों के निशान छोड़ जाएँ।
कर खुद पर यकिन जो अपने किस्मत की लकीरों को अपने मंजिल की तरफ मोड़ देते हैं…करती है सफलता खुद चरण वंदना उनकी जो अपने सपनों को पुरा करने के लिए सोना छोड़ देते हैं।
*लेखक:- कुंदन कुमार राय*