*ग्रामीण हाट के जीर्णोद्धार के प्रति प्रशासन उदासीन। हर खबर पर पैनी नजर।*

अमित कुमार झा

बांका/रजौन:- जिले में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो काफी पिछड़े हैं और वहां प्रतिदिन बाजार नहीं लगता हैं। ऐसे क्षेत्रों में सप्ताह में एक दिन बाजार लगाई जाती हैं, जहां आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोग अपनी उपज बेचने के लिए जाते हैं और वहां खरीददारों की भी भीड़ होती हैं. लेकिन ऐसे बाजारों मे न तो दुकानदारों को दुकान लगाने के लिए बेहतर जगह मिलती हैं और न ही शुद्घ पेयजल, छांव आदि का इंतजाम होता हैं. हालात यह हैं कि बारिश के दिनों में दुकानदारों के साथ ही खरीददारों को भी परेशानी होती हैं. इससे निजात दिलाने के लिए मनरेगा के तहत कोई पहल नहीं किया जा रहा हैं. प्रत्याशी कुर्सी उठाओ और गिराओ की बाजीगरी में व्यस्त हैं.

रजौन प्रखंड अंतर्गत कटियामा, राजावर, लोडिया गोपालपुर, अजीत नगर, सिंहनान, मंझगाय-डरपा, बामदेव बाजार सहित प्रखंड क्षेत्र का मशहूर हाट अपने आप में एक अलग ही पहचान रखता हैं. सप्ताह में दो दिन को यहां हाट लगता हैं. जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाके के लोग इस हाट में खरीदारी के लिए आते हैं. इस हाट में ग्रामीणों को सभी प्रकार के सामान उचित मूल्य पर प्राप्त हो जाते हैं.

देव स्थान तो चकाचक हो रहे हैं लेकिन गरीबों के निवाला के लिए ग्रामीण हाट के जीर्णोद्धार का ना होना बहुत ही दुःख की बात हैं. एक ओर गरीब लोग सब्जी बेचकर गुजारा करते हैं तो किसान भी लाभ कमाते हैं. वही आम लोगों का नजदीक में सब्जी जैसे दैनिक जरूरत की वस्तु आसानी से मिल जाती हैं. लेकिन हाट में सरकार के द्वारा पूर्ण व्यवस्था नहीं की गई हैं. नाला नहीं रहने के कारण बरसात के मौसम में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं. जिससे हाट करने आए ग्राहकों व दुकानदारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता हैं.

रजौन प्रखंड क्षेत्र में विकास विकसित करने का दावा कितना ही क्यों न कर लें परंतु उन्हीं दावों के बीच रजौन प्रखंड क्षेत्र के कई ग्रामीण सड़कों की स्थिति जर्जर होकर पोल खोल रही हैं. जिसको जीर्णोद्धार को लेकर न तो जनप्रतिनिधि और न ही जिला प्रशासन के अधिकारी ही गंभीर हैं।

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