रमेश शंकर झा
समस्तीपुर:- जिले के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में पूर्व अंतर्राष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका (अगस्त 2007 से मार्च 2020) परम श्रद्धेय राजयोगिनी मोस्ट स्टेबल माइंड इन दि वर्ल्ड 104 वर्षीय दादी जानकी जी की पहली पुण्यतिथि वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस के रूप में मनाई गई। इस इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बी० के० तरुण ने कहा कि दादीजी का जीवन संपूर्ण रीति आध्यात्मिक रूप से जागृत था और उन्होंने अपने जीवन से सारे विश्व की आध्यात्मिक जागृति के लिए कार्य किया। इसलिए आज के दिन को उनकी स्मृति में “वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है।
वहीं ओम शान्ति शब्द आध्यात्मिक जागृति का शंखनाद करता है। दादीजी ओम शान्ति शब्द के तीन अर्थ बताती थीं। मैं कौन, मेरा कौन और मुझे क्या करना है? मैं आत्मा, मेरे पिता परमपिता परमात्मा और यह समय सृष्टि का परिवर्तन काल। जिसमें हमें स्वयं को बदलकर सारे विश्व को बदलना है। इन तीन अर्थों में आध्यात्मिक जागृति का सार समाया हुआ है। स्वयं की आध्यात्मिक जागृति के लिए हम कोरोना से शिक्षा ले सकते हैं। सूर्य के सबसे बाहरी हिस्से को कोरोना कहते हैं जो ग्रहण के समय ही दिखाई देता है और उससे निकलने वाली किरणें हानिकारक मानी जाती हैं। ऐसे ही जब आत्मा पर देह भान का ग्रहण लगता है तो उसके मूल गुण ज्ञान, शान्ति, प्रेम, पवित्रता, सुख, आनंद और शक्ति विकारों के रूप में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का रूप ले लेते हैं। इस तरह आत्मा जैसे कि कोरोनाग्रस्त हो जाती है।
उसकी आध्यात्मिक चेतना सुषुप्त हो जाती है। इसकी जागृति के लिए मन-बुद्धि पर अटेंशन का मास्क लगाना जरूरी है ताकि मन में कोई नकारात्मक विचार प्रवेश न कर सके। बुरी आदतों, बुरे खानपान और बुरे संग से सोशल डिस्टेंसिंग रखने की जरूरत है। आत्मा की अशुद्धियों को साफ करने के लिए हर सेकेंड दो जीरो का साबुन लगाना जरूरी है- एक आत्मा जीरो और दूसरा परमात्मा जीरो। पवित्रता का सैनिटाइजर लगातार बीच-बीच में इस्तेमाल करते रहना आवश्यक है, ताकि मन-वचन-कर्म की शुद्धि बनी रहे और इनका इस्तेमाल अच्छे कार्यों में होता रहे। परमात्म-स्मृति में टिके रहने का टीका यानी वैक्सीन लगाने से आत्मा पूरी तरह से आध्यात्मिक रूप से जागृत हो जाएगी। वहीं एडीजे दशरथ मिश्र ने कहा आज के दिन दादीजी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम आध्यात्मिकता के पथ पर उनका अनुसरण करें और उनके हर कार्य में सहयोगी बनें। सुधा डेयरी के एमडी डी० के० श्रीवास्तव ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि इस आध्यात्मिक स्थान पर आकर मुझे असीम शान्ति और प्रेम का अनुभव होता है।
दादी जी जो सदा सबको अपना प्रेम लुटाने में व्यस्त और मस्त रहती थीं तो वो अंदर से कितना प्रेम, शान्ति और शक्ति से भरपूर होंगी। वहीं कृष्ण भाई ने कहा 104 वर्षीय दादीजी सदा अपने को आध्यात्मिक शक्ति से ओतप्रोत युवा समझती थी और इस उम्र में भी देश-विदेश के अनेक स्थानों पर आध्यात्मिक जागृति के लिए चक्कर लगाती रही।
इस कार्यक्रम को सविता बहन, ओम प्रकाश भाई ने भी संबोधित किया। सभी भाई-बहनों ने दादीजी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और सभी को ब्रह्मा भोजन स्वीकार कराया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से सतीश चांदना, शिवकुमार अग्रवाल, डॉ० दशरथ तिवारी, महेंद्र प्रसाद प्रताप, राकेश माटा, लाल बहादुर भाई, गोपाल भाई, निर्दोष भाई आदि उपस्थित थे।