DVG, DESK
समस्तीपुर:- जिले के विभिन्न क्षेत्रों सहित खानपुर प्रखंड क्षेत्र के हांसोपुर गांव में कड़ाके की ठंड से किसानों के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। पिछले कई दिनों से जबरदस्त ठंड के साथ कोहरा व रात में पड़ रहे पाले की वजह से सब्जी की खेती को भारी नुकसान पहुंचा है। पाला गिरने से अन्नदाता परेशान हैं। वहीं फसलों को ठंड व पाले के कारण खेत खलिहान पर गहरा प्रभाव पड़ा है। किसानों की मानें तो आलू और बिंस समेत कई फसलें बर्बाद हो रही हैं।
उनमें पाले का असर ज्यादा है। साथ ही ठंड के कारण कई फसलों की ग्रोथ कम हो गई है। पाला से ज्यादातर आलू की खेती करने वाले किसान परेशान हैं। वहीं अधिकतर आलू के पौधे पाले से जलकर नष्ट हो चुके हैं। किसान कमलेश कुमार चौधरी ने बताया कि पाला से आलू का खेत पूरी तरह जल गया है और पौधे पूरी तरह सूख गया है,बऐसे में आलू की खोदाई करने पर एक पेड़ से दो से तीन पीस आलू निलक रहा है जिसका बजन भी दस से बीस ग्राम का है जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है। वहीं क्षेत्र के किसान विश्वजीत पांडेय, ललन किशोर चौधरी,अवधेश राय,संभू चौधरी,
नीतीश भारद्वाज,कुंदन कुमार, मनोरंजन कुमार,गोविंद कुमार, मनोज कुमार आदि किसानों ने बताया कि गाव में भीषण सर्दी के साथ रात में पाला गिरने की वजह से फसलों को नुकसान हुआ है। किसानों ने बताया कि पिछले दिनों ठंड इतनी ज्यादा थी कि लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया था। पहले बेमौसम बारिश और अब पाले की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों की माने तो इस वर्ष चालीस रुपए प्रति किलो की दर से आलू का बीज खरीदकर खेतों में बोया था जहां खेती तैयारी से लेकर बीज बोनेतक पैतालीस सौ से पांच हजार रूपए प्रति कट्ठा खर्च आया था। जो पाला की बजह से फसल बर्बाद हो गया है अब खेती में फायदा नहीं रह गया। ऊपर से मौसम की मार किसानों के सामने हर वर्ष आर्थिक संकट खड़ा कर देता है।
किसानों ने बताया कि फसलें बर्बाद होने से बीज की लागत भी नहीं निकल पाएगी। किसानों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। किसानों का कहना है कि क्षेत्र का ऐसा कोई गाव नहीं बचा होगा जहा पाला के कारण फसलें बर्बाद न हुई हों। जबकि क्षेत्र में आधे से ज्यादा आबादी सब्जियों की खेती पर निर्भर है। ऐसे में फसल खराब होने के कारण किसानों के चेहरे पर चिंता दिखाई दे रही है किसान अपने माथे पर हांथ रखकर सोंच में परे हुए हैं। किसानों ने मांग किया की प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक खेतों का निरीक्षण कर वाजिव हक दिलाने में मदद करें।