वन्दना झा
मधुबनी:- जिले के सदर अस्पताल के सभागार में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के तत्वावधान में नियमित टीकाकरण के महत्व और विटामिन ‘ए’ को लेकर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ० एस०के० विश्वकर्मा ने बताया की नियमित टीकाकरण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए काफी अहम है। वही विटामिन’ ए’ बच्चों में एनीमिया, रतौंधी एवं अन्य बीमारी को रोकने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
मीडिया की अहम भूमिका है:-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ० एस०के० विश्वकर्मा ने बताया नियमित टीकाकरण में जन जागरूकता के लिए मीडिया की काफी अहम भूमिका है। जिसमें सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नियमित टीकाकरण 12 गंभीर बीमारियों से बचाता है:-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया की नियमित टीकाकरण बच्चों को 12 गंभीर बीमारियों से बचाता है। टीकाकरण से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। जिससे बच्चे कई जटिल रोगों से सुरक्षित रहते हैं। इस दिशा में सरकार भी काफी लंबे समय से प्रयास कर रही है।
संपूर्ण टीकाकरण क्यों जरूरी:-
यूनिसेफ के एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया नवजात शिशुओं को सम्पूर्ण टीकाकरण करा कर भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। जन्म के समय लगने वाले बीसीजी, पोलियो और हेपेटाइटिस- बी के टीके प्रसव के बाद अस्पताल में ही दे दिये जाते हैं। टीकाकरण के लिए सामुदायिक स्तर पर आरोग्य दिवस का सप्ताह में 2 बार आयोजन होता है। साथ ही जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों,आंगनवाड़ी केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में भी टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़ों में दिख रहा सुधार:-
हाल हीं में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार जिले में बच्चों के टीकाकरण में 22.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय परिवार हेल्थ सर्वे-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार जिले में 12-23 माह के 63.5 प्रतिशत बच्चों का पूर्ण टीकाकरण होता था जो कि वर्ष 2019-20 में बढ़कर 85.6 प्रतिशत हो गया है। यह आंकड़े बता रहे हैं कि जिले में पूर्ण टीकाकरण में काफी सुधार आया है। साथ हीं टीकाकरण को लेकर लोगों में जागरूकता भी आयी है।
सरकारी अस्पतालों में 96 प्रतिशत बच्चों का हो रहा है टीकाकरण:-
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार जिले में 12 से 23 माह के 96 प्रतिशत बच्चों का सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार 94.6 प्रतिशत बच्चों का सरकारी अस्प्तालों में टीकाकरण होता था।
निजी अस्पतालों से हुआ मोहभंग:-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ० एस० के विश्वकर्मा ने बताया की जिले में निजी अस्पतालों में टीकाकरण करवाने वाले लोगों में कमी आयी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 वर्ष 2019-20 के अनुसार मात्र 0.9 प्रतिशत बच्चों का निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार 12-23 माह के 5.4 प्रतिशत बच्चों का निजी अस्पतालों में टीकाकरण होता था जो कि घटकर 2 प्रतिशत हो गया है। इसमें 3.4 प्रतिशत की कमी हुई है।
क्या है आंकड़ा (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 वर्ष 2019-20):-
जिले में 12-23 माह के 95.7 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगा है।
12-23 माह के 80.3 प्रतिशत बच्चों को 3 डोजेज पोलिया की टीका लगा है।
12-23 माह के 85.7 प्रतिशत बच्चों को 3 डोजेज पेंटा और डीपीटी का टीका टीका लगा है।
12-23 माह के 91.2 प्रतिशत बच्चों को प्रथम डोज मिजिल्स (एमसीवी) का टीका टीका लगा है।
24-35 माह के 38.6 प्रतिशत बच्चों को सेकेंड डोज मिजिल्स (एमसीवी) का टीका लगा है।
12-23 माह के 83.1 प्रतिशत बच्चों को 3 डोज पेंटा व हेपटाइटिस बी का टीका लगा है।
विटामिन ‘ए’ अनुपूरण कार्यक्रम की हुई शुरुआत
सदर अस्पताल में एसीएमओ डॉ० सुनील कुमार एवं डीपीओ डॉ० रश्मि वर्मा के द्वारा विटामिन ए अनुपूरक कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जिसमें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ० एस०के० विश्वकर्मा ने बताया 09 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार लाने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ए की छःमाही खुराक अति आश्यक है। एसीएमओ डॉ० सुनील कुमार ने बताया की कार्यक्रम के तहत 09 से 11 माह तक के बच्चों को 01 एम.एल. व 12 से 60 माह के बच्चों को दो एम.एल. विटामिन ‘ए’ की खुराक पिलाई जाती है।
विटामिन ‘ए’ से शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास-
डब्ल्यू एच ओ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया विटामिन-ए की कमी से बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। विटामिन-ए की कमी शरीर के सभी अंगों के लिए नुकसानदेह है लेकिन इसका प्रभाव केवल आंखों पर ही परिलक्षित होता है। इसे खत्म करने के लिए शिशुओं को विटामिन ए की खुराक देना जरूरी है।
कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर करीब 14000 डाटा अभी तक अपलोड:–
डीआईओ ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर करीब 14000 डाटा अभी तक अपलोड हो चुका है। आगे और भी डाटा अपलोड किया जाना है। प्रारंभिक दौर में स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर कार्यवाही की जा रही है। इसके तहत डॉक्टर, नर्स, आंगनवाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ताओं के डिटेल की प्रविष्टि विभागीय पोर्टल पर की जा रही है। इस मौके पर केयर इंडिया के डीएलएल महेंद्र सिंह सोलंकी सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की डॉक्यूमेंटेशन एवं ट्रेनिंग ऑफिसर सरिता मलिक, डिविजनल कोऑर्डिनेटर प्रोग्राम अमन कुमार, डिविजनल कोऑर्डिनेटेड मीडिया अजय कुमार मिश्रा आदि उपस्थित थे।