*कालाजार की समाप्ति को विभाग है सजग, लाखों घरों को करना है आच्छादित। हर खबर पर पैनी नजर।*

21 प्रखंड के 114 गांव में किया जा रहा छिड़काव।

रमेश शंकर झा

मधुबनी:-कालाजार को लेकर मधुबनी जिला सजग है। स्वास्थ्य विभाग इस रोग से समाज को सुरक्षित रखने के लिए त्वरित गति से उन्मूलन कार्यक्रम चला रहा है। जिले के विभिन्न गांवों में पहुंचकर सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव किया जा रहा है। स्वस्थ्य विभाग कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को सुचारु रूप से चलाने और सफल करने की कोशिश में 15 सितंबर से ही लगा है, जो 8 दिसंबर तक चलेगा। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार से बचाव के लिए एसपी पाउडर का छिड़काव सभी 21 प्रखंड के 114 गांव में किया जा रहा है । इसके लिए सभी कर्मियों को पहले हीं प्रशिक्षित किया जा चुका है। सभी प्रशिक्षित कर्मियों के पर्यवेक्षण में छिड़काव किए जा रहे हैं।
छिड़काव कर्मियों को दिया गया है मास्क और सैनिटाइजर :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसएस झा ने कहा कि कोरोना के मद्देनजर छिड़काव कर्मियों को मास्क तथा ग्लब्स
उपलब्ध कराया गया है। छिड़काव में लगे सभी दलों को दो गज की सोशल डिस्टेंसिंग के पालन का निर्देश दिया गया है।

1 लाख 51 हजार से अधिक घरों को करना है आच्छादित:
कालाजार उन्मूलन के लिए एसपी पाउडर का छिड़काव 15 सितंबर से 8 दिसंबर तक किया जाना है। जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने 1,51,380 घरों को अच्छादित करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें 15 सितंबर से 5 नवंबर तक 94103 घरों को आच्छादित कर दिया गया है। 6 नवंबर को 2593, 8 नवंबर को 2631,9 नवंबर को 2660, 10 नवंबर को 2665, 11 नवंबर को 2641, 12 नवंबर को 2606, 13 नवंबर को 2610, 17 नवंबर को 2581 घरों को आच्छादित कर दिया गया है।

कालाजार समाज के लिए काली स्याह की तरह:
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसएस झा ने कहा कि कालाजार समाज के लिए काली स्याह की तरह है। इस बीमारी को जन-जागरुकता व सामूहिक सहभागिता से ही हराया जा सकता है। कालाजार तीन तरह के होते हैं, जिसमें वीएल कालाजार, वीएल प्लस एचआइवी और पीकेडीएल है।

ऐसे फैलता है कालाजार:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसएस झा ने कहा कि कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है। यह एक वेक्टर जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। कालाजार परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार यानि काला बुखार पड़ा ।

कालाजार के लक्षण
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।

कोरोना काल में  इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-
– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें.

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