*अधिक उपज के लिए पौधों को १७ पोषक तत्वों की आवश्यकता है:- पंकज। हर खबर पर पैनी नजर।*

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समस्तीपुर:- जिले के ताजपुर प्रखंड क्षेत्र के मानपुरा पंचायत के मानपुरा ग्राम में केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय संधारणीय कृषि मिशन योजना अंतर्गत मृदा स्वास्थय कार्ड आधारित प्रत्यक्षण सह प्रशिक्षण कार्येक्रम 2020-2021 में पंचायत के कृषि समन्वयक पंकज कुमार के द्वारा मिट्टी नमूना लेने की वैज्ञानिक पद्धति, मिट्टी जाँच से होने वाले लाभ, मृदा स्वास्थ्य कार्ड पढ़ने की विधि इत्यादि पर विस्तृत रूप से किसानो को प्रशिक्षित किया गया। आधुनिक युग मे रासायनिक खादों एवं कीटनाशी दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य एवं उसकी उर्वरा शक्ति दोनों को नुकसान हो रहा है,लंबे समय तक अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक पद्धति से खेती करना तभी सम्भव है जब किसानो को जानकारियां हो कि उनके खेत मे पोषक तत्वों की कितनी मात्रा उपलब्ध है, क्योंकि खेतों में उपलब्ध पोषक तत्व की मात्रा ही पौधों की बढ़त और फसलो की पैदावार को भी नियंत्रित करती है। पोषक तत्व की जानकारी केवल मिट्टी जांच से ही सम्भव होती है।

*मिट्टी नमूना लेने में सावधानी :-*
०१. जिस खेत मे हाल ही में खाद/उर्वरक डाले गए हो वहाँ से मिट्टी का नमूना नहीं लेना है।
०२. नमी या दलदल जगह से मिट्टी का नमूना नहीं लेना हैं।
०३. खेत के मेढ़ या आरी या बांध के नजदीक से मिट्टी का नमूना नहीं लेना है।
०४. मिट्टी का नमूना किसी गड्ढ़े से नहीं लेना है एवं किसी बड़े वृक्ष के नीचे से भी मिट्टी का नमूना नहीं लेना हैं।
०५. वृक्ष की छाया जहाँ बराबर रहती हो उस स्थान से मिट्टी का नमूना नहीं लेना है।
०६. यथा सम्भव खड़ी फसल के खेत से मिट्टी का नमूना नहीं लेना हैं, यदि किसी कारणवश खड़ी फसल से मिट्टी का नमूना लेना ही हो तब भी यह ध्यान रखना आवश्यक है कि खड़ी फसल में खाद का व्यवहार कम से कम 30 से 35 दिन पूर्व हुआ हो।
०७  मिट्टी के नमूना का सम्पर्क खाद या उर्वरक के साथ नहीं होना चाहिए।
०८. मिट्टी का नमूना रखने के लिए स्वस्छ पॉलीथिन के थैले या कपड़े के थैले का ही प्रयोग करे।
०९. मिट्टी के नमूना लेने में जंग युक्त खुरपी का प्रयोग नहीं करना है।

*मिट्टी जांच के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड से होने वाले लाभ:-* कृषि समन्वयक का कहना है कि मिट्टी जांच के आधार पर ही मिट्टी जाँच प्रयोगशाला में मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जाता है। मृदा में पी०एच० का पता चलता है जो खेत मे अम्लीय या क्षारीय की जानकारी मिलती है। मृदा में विधुत चालकता का पता चलता है जिससे खेत मे खारेपन की जानकारी होती है,
पौधे को वृद्धि एवं विकास के लिए कुल १७ पोषक तत्व की जरूरत होती है। जिसमे कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन वायुमंडल द्वारा प्राप्त होता है। मृदा में मौजूद मुख्य पोषक तत्व जैसे-  नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की उपलब्ध मात्रा की ज्ञात हो जाती है, जो कि मिट्टी जांच से ही पता चलता है। मृदा में उपलब्ध द्वितीय पोषक तत्व जैसे-कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं सल्फर की कमी की जांच की जाती है। मृदा में कुल ०८ उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे- जिंक, मैगनीज़, आयरन, कॉपर, मोलिब्डेनम, बोरोन, क्लोरीन एवं निकिल की कमी का जांच से ही पता चलता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में अंकित परिणाम के आधार पर फसल चयन एवं उपयुक्त प्रभेद की अनुशंसा की जाती है। फसलों के लिए कम लागत पर अधिक आए हेतु उर्वरकों की मात्रा एवं उसके प्रबंधन का निर्धारण किया जाता है।रोग ग्रस्त मिट्टी के लिए मिट्टी सुधारक, उसकी मात्रा, एवं प्रयोग विधि की जानकारी दी जाती है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में क्रमशः मृदा विश्लेषण के परिणामों के अंकित रहने से खेत के मृदा के स्वास्थ्य पर हमेशा निगरानी रहती है।

*मिट्टी का नमूना कैसे ले:-*

०१. सबसे पहले खेत मे ०८ से १० स्थानों को जिग-जैग तरीके से इस प्रकार चिन्हित करें जो कि पूरे खेत का प्रतिनित्व करें।
०२. फिर प्रत्येक चिन्हित स्थान के ऊपर से घास-फूस को खुरपी से इस तरीके से हटायें जिससे कि मिट्टी के ऊपर मौजूद कार्बनिक पदार्थों का ह्रास न हों।
०३. उसके बाद खुरपी से मिट्टी में अग्रेंजी के अक्षर “V” के आकार का 15 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोदते है।
०४. फिर इस “V” आकार के गड्ढे के दोनों  ही तरफ से ०१ सेंटीमीटर मोटी मिट्टी की परत को १५ सेंटीमीटर गहराई तक छिलते हुए निकालते है, यही प्रकिया प्रत्येक चिन्हित स्थल से करते हैं।
०५. अब प्रत्येक चिन्हित स्थल से निकाली गई ०१ सेंटीमीटर मोटी मिट्टी की परत को साफ पॉलीथिन या बाल्टी में एकत्रित कर के बढ़िया ढंग से मिलाते हैं, साथ ही साथ इसमें मौजूद पत्थर व कुड़ा-करकट को भी चुनकर हटा देते है।
०६. फिर इस मिट्टी को साफ कागज या अख़बार पर डालकर एक समतल गोले के रूप में फैलाकर चार समान भागों में बाँट देते हैं। आमने-सामने के हिस्सों की मिट्टी को बचाकर रखते है व बगल के दोनों हिस्सों की मिट्टी को फेंक देते हैं। यह प्रक्रिया तब तक अपनाते है जब तक लगभग ५०० ग्राम मिट्टी न बच जाए।
०७. अब इस मिट्टी को साफ कागज या पॉलिथीन की चादर पर छाया में सुखाते है। मिट्टी को सूखने के बाद स्वस्छ पॉलीथिन या कपड़े के थैले में भर देते हैं।

*थैले में कृषकों के द्वारा दी जाने वाली जानकारी:-*
१. कृषक का नाम, २. पत्राचार का पूर्ण पता, ३.खेत का खाता/खेसरा/प्लॉट न०, ४. खेत की पहचान, ५. पूर्व में ली गई फसल, ६. आगे ली जाने वाली फसल, ७. खेत की मिट्टी में कोई समस्या है तो उसका वर्णन इत्यादि, ८.सिंचाई की सुविधा,९.नमूना लेने की तिथि, १०. कृषक का आधार नंबर, मोबाइल नंबर एवं हस्ताक्षर कर के मिट्टी नमूना संग्रहण सूचना पत्रक या किसी सादा कागज पर दो प्रति में उपयुक्त पूरा डिटेल लिख के डाल देते है।अब यह मिट्टी के नमूना मिट्टी जांच प्रयोगशाला में भेजने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हो जाता है। यदि मिट्टी नमूना किसी बागवानी फसलों के लिए लेना है तो फिर इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि नमूना वृक्ष के शिखर की छाया जो दोपहर के समय मे भूमि पर पड़ती है उसकी परिधि के किनारे से ही ० से ३० सेंटीमीटर एवं ३० से ६० सेंटीमीटर की गहराई से औगर विधि से नमूना लेने कि तकनीकी सलाह दी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसान सलाहकार संतोष कुमार झा, किसान निर्मला देवी, बेवी देवी, रेखा देवी, सरस्वती देवी, प्रकाश झा, संजय कुमार झा, शशीभूषण झा, धनेश्वर झा, गोविंद झा, विद्याधर झा, सदानंद झा, राजीव रंजन झा, विशुन पंडित ,अवध पंडित आदि सैंकड़ो किसान ने मिट्टी नमूना लेने के वैज्ञानिक तरीका से अवगत हुए।

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