*शरीर की ऊष्मा से नवजात को मिल सकता है जीवनदान। हर खबर पर पैनी नजर।*

रमेश शंकर झा

मधुबनी:- नवजात को अधिक ठंडी के कारण स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ने की संभावना रहती है. जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है. सही समय पर हाइपोथर्मिया के प्रबंधन नहीं किए जाने पर नवजात की जान भी जा सकती है. लेकिन इस गंभीर समस्या का निदान आसानी से घर पर भी किया जा सकता है. जिसके लिए ‘कंगारू मदर केयर’(केएमसी) काफ़ी असरदार साबित हो सकता है. ‘कंगारू मदर केयर’ के तहत माँ या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर नवजात को शरीर की गर्मी प्रदान करते हैं. इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से उबरने में सहायता मिलती है.
2 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों के लिए आवश्यक: सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया 2 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों को कमजोर नवजात की श्रेणी में रखा जाता है. जिन्हें सघन देखभाल की जरूरत होती है. कमजोर बच्चों के उचित देखभाल के लिए सभी जिलों में ‘कमजोर नवजात देखभाल’ कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत आशा एवं एनएनएम चिन्हित कमजोर नवजातों को उनके घर पर ही विशेष देखभाल प्रदान करती है. कमजोर नवजातों के उचित देखभाल की कड़ी में ‘कंगारू मदर केयर’ काफ़ी असरदार प्रक्रिया होती है. इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के साथ नवजात के वजन में वृद्धि होती है. साथ ही इससे उनके बेहतर शारीरिक विकास में भी सहयोग मिलता है.

‘कंगारू मदर केयर’ के दौरान इन बातों का रखें ध्यान :

  • ‘कंगारू मदर केयर’ माँ के साथ घर का कोई भी सदस्य प्रदान कर सकता है. केयर प्रदान करने वाले व्यक्ति को केएमसी से पूर्व हर बार अपने छाती को साफ़ करना जरुरी है
  • नवजात के मुँह को छाती के मध्य स्तनों के बीच लिटाएँ एवं यह सुनिश्चित करें कि उसका शरीर केएम्सी. देने वाले के पेट से चिपका हो
  • नवजात के शरीर पर टोपी, हाथों और पैरों में दस्ताने व पैरों में मोज़े व लंगोटी के अलावा शरीर पर कोई वस्त्र न हो
  • बच्चे का सर इस प्रकार से ढँका जाए कि उसे सांस लेने में कठिनाई ना हो
  • केएमसी देने वाला व्यक्ति ऊपर से मौसम के अनुसार कोई कपडा अवश्य ढँक ले

केएमसी के फ़ायदे:

  • केएमसी देने से माँ की कन्हर(प्लेसेंटा)जल्दी बाहर आ जाता है
  • बच्चे को सीने से लगाने से माँ का दूध जल्दी उतरता है
  • केएमसी से नवजात शिशु को क्या फायदा होगा
  • नवजात शिशु स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है
  • शिशु का वजन बढ़ता है और शारीरिक विकास बेहतर हो जाता है
  • माँ एवं बच्चे के बीच मानसिक एवं भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है

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