*सदर अस्पताल प्रशासन की ओर से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध। हर खबर पर पैनी नजर।*

एसएनसीयू में सभी 16 वार्मर दुरुस्त।

वन्दना झा

मधुबनी:- ज़िला अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही है। मरीज़ व परिजनो को सीमित संसाधन के बीच उचित चिकित्सा व्यवस्था प्रदान की जा रही है। इसी कड़ी में सदर अस्पताल में खराब रेडिएंट वार्मर को ठीक कर दिया गया है। अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने बताया सभी  खराब पड़े वार्मर को टेक्नीशियन द्वारा ठीक कर दिया गया है। एसएनसीयू के सभी 16 वार्मर पूर्ण तरह से कार्यरत हैं. मरीज़ों के बेहतर स्वास्थ सुविधा बढ़ाने को लेकर ठोस कार्रवाई की जा रही है।

सदर अस्पताल में उपलब्ध है एसएनसीयू की सुविधाएं:

सदर अस्पताल परिसर में 2016 से एसएनसीयू( स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) नया जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है। एसएनसीयू इंचार्ज डॉ. डी.के झा ने बताया ने बताया 90 प्रतिशत से भी ज्यादा नवजातों का एसएनसीयू में सफल इलाज होता है। एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू सेवा का लाभ सिर्फ अस्पताल में जन्म लेनेवाले नवजातों को ही नहीं मिल रहा है, अपितु सभी सरकारी व निजी शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा नवजातों को यहां बेहतर सुविधा को लेकर रेफर किया जाता है। एसएनसीयू में 24 घंटे एक चिकित्सक के साथ कई एएनएम तैनात रहते हैं, जो नवजात के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाते हैं।

ऐसे नवजात एसएनसीयू में होते हैं भर्ती:
• 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात
• गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे
• जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात( जौंडिस या कोई अन्य गंभीर रोग)
• जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या( बर्थ एस्फ्यक्सिया)
• हाइपोथर्मिया
• नवजात में रक्तस्त्राव का होना
• जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्टस होना

  बर्थ एस्फिक्सिया में आई कमी:

शिशु जन्म के तुरंत बाद जिले में बर्थ एस्फिक्सिया यानी सांस लेने में गंभीर समस्या के मामलों में कमी दर्ज हुई है।
हेल्थ मैनेजर अब्दुल मजीद ने कहा कुल डिलीवरी का 10 से 15 प्रतिशत मामलों में बर्थ एस्फिक्सिया की शिकायत होती थी। लेकिन अब इनकी संख्या में कमी आयी है। बर्थ एस्फिक्सिया में कमी आने से नवजात मृत्यु दर को नियांत्रित करने में भी सहूलियत हो रही है। पहले बच्चे डीएमसीएच रेफर होते थे उसमें कमी हुई है। पहले गर्भवती महिला को सिजेरियन प्रसव की स्थिति में डीएमसीएच रेफर किया जाता था  जिसमें कमी आई है अब जच्चा और बच्चा रेफर नहीं होता है।

मेडिसिन संबंध में उन्होंने बताया कि जो मेडिसिन उपलब्ध नहीं है उसके बदले दूसरे कंपोजिशन का मेडिसिन उपलब्ध है कभी-कभी डॉक्टर को अन्य दवा लिखना पड़ता है जिसे पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।

सदर अस्पताल में उपलब्ध है सारी सुविधाएं:

सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा  ने बताया गम्भीर स्थिति में गर्भवती को अब प्रसव के लिए रेफर नहीं किया जाता। सदर अस्पताल में सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिले में अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक 131 सिजेरियन प्रसव हुए झा ने बताया प्रसव पूर्व जांच,उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाएं, गर्भावस्था के दौरान दी जाने वाली जरूरी दवाएं एवं गर्भवती महिलाओं की लाइन लिस्टिंग जैसे अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पहले की तरह दिया जाता है। गर्भावस्था में प्रत्येक महिला को उसके हिमोग्लोबिन, आयरन एवं कैल्सियम की स्थिति पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।  आवश्यकता के अनुसार गर्भवती महिलाओं को जरूरी पोषक तत्व मिले। ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी हो। सारी सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल लाने एवं उन्हें घर पहुंचाने के लिए 102 नंबर पर एंबुलेंस निशुल्क दिया जाता है।

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