*पांच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का अधिक खतरा। हर खबर पर पैनी नजर।*

रमेश शंकर झा

समस्तीपुर:- सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया से पीड़ित होने की अधिक सम्भावना होती है। इसलिए इस मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों में होने वाली मौतों में निमोनिया एक प्रमुख कारण है। इस दिशा में सरकार ने निमोनिया से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण में पीसीवी टीके को शामिल किया है। यह टीका निमोनिया से बचाव में काफ़ी असरदार है।

*ठंड के मौसम में अधिक ख़तरा।*

वहीँ सिविल सर्जन डॉ० सत्येन्द्र कुमार गुप्ता ने बताया निमोनिया एक संक्रामक रोग है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को द्रव या मवाद से भरकर उसमें सूजन पैदा करता है। इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए इस मौसम में शिशुओं को ठंड से बचाना चाहिए। इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को जरुर लगवाना चाहिए। आमतौर पर निमोनिया से शिशुओं, बच्चों एवं  65 वर्ष से ऊपर आयु वाले लोगों या कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली वाले लोगों को अधिक ख़तरा होता है। यह एक संक्रामक रोग है जो छींकने या खांसने से फ़ैल सकता है। जिले में सर्दी के मौसम की शुरुआत से ही बच्चों में निमोनिया एवं ठंड से जुड़ी अन्य बीमारियों में बढ़ोतरी हुयी है।

*निमोनिया के प्रकार, बैक्टीरियल निमोनिया:-*

यह विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है। इससे कमजोर प्रतिरक्षण प्रणाली वाले लोगों, कुपोषित बच्चे तथा बीमार लोगों को  अधिक ख़तरा होता है।

वायरल निमोनिया:- इस प्रकार का निमोनिया फ्लू सहित विभिन्न वायरस के कारण होता है। इससे बैक्टीरियल निमोनिया होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

माइक्रोप्लाज्मा निमोनिया:- इसके लक्षण अलग होते हैं और इसे एटीपीकल निमोनिया कहा जाता है। यह आम तौर पर हलके परन्तु बड़े पैमाने पर निमोनिया का कारण बनता है जो सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है।

एसपीरेशन निमोनिया:- यह किसी भोजन, तरल पदार्थ, गैस या धुल से होता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है। क्यूंकि इससे ग्रसित लोग पहले से ही बीमार होते हैं।

फंगल निमोनिया:- इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न स्थानीय कारणों से होता है। इसका निदान काफी कठिन होता है।

*निमोनिया के लक्षण*

निमोनिया के लक्षण निम्न प्रकार के होते हैं:-
बलगम वाली खांसी,
कंपकपी वाला बुखार, सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना,
सीने में दर्द या बेचैनी,
भूख कम लगना, खांसी में खून आना, कम रक्तचाप, जी मचलना और उलटी।

*निमोनिया से बचाव:-*
पीसीवी वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। इसे सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है। चिकित्सक 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों को अलग-अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं। धूम्रपान से परहेज, स्वस्थ एवं संतुलित जीवन शैली व साफ़ सफाई का ध्यान रख निमोनिया से बचा जा सकता है।

*कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन:-*
एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें। सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें। अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं। आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें। छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

Related posts

Leave a Comment