वंदना झा
समस्तीपुर:- बुनियाद केंद्र की सीनियर
फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ० रोली प्रकाश के अनुसार घर में रहकर गर्दन के दर्द से कैसे राहत पा सकते हैं। डॉ० रोली प्रकाश के अनुसार कुछ बर्षो पहले तक जिन बीमारियों के बारे में किसी ने सोचा भी नही था।आज वह हमारी जिंदगी का हिस्सा बनते जा रही है, जैसे जोड़ों में दर्द, पीठ में दर्द, गर्दन दर्द करना इत्यादि। कभी-कभी इतने दर्दनाक हो जाते हैं कि जिसे सहना लगभग न मुमकिन सा हो जाता है।
वहीं शरीर पर लगी चोट अथवा बुखार आदि को देखकर या मापकर बीमारी की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, पर दर्द की तीव्रता का अंदाजा केवल दर्द सहने वाला ही लगा सकता है। इसी तरह की बहुत परेशान करने वाली बीमारी है गर्दन में दर्द का होना। एक हड्डियों से जुड़ी समस्या है। यह बीमारी, कंधों, गर्दन आदि में गम्भीर दर्द देती है, यह समस्या किसी को भी हो सकती है।
वर्तमान समय में अनियमित दिनचर्या और अनिश्चित जीवनशैली के चलते अधिकतम लोग सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के शिकार हैं। इसीलिए हम सभी को इसकी वजह,लक्षण और घरेलू उपचारों की जानकारी होनी चाहिए। क्या है सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस:-सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन और रीढ़ की हड्डी की बीमारी है।यह बीमारी आम तौर पर गर्दन झुकाकर काम करने वालो को होती है। कार्यालय में बैठकर गर्दन झुकाकर कई घंटों लगातार काम करने वाले,
लगातार एक स्थिति में पड़ने वाले या टेबल कुर्सी पर बैठकर काम करने वाले अधिकतर लोग इसके शिकार हो जाते हैं। दूसरी ओर आज कल स्मार्ट फ़ोन पर देर तक गर्दन झुकाकर सर और गर्दन को अनुचित स्थिति में रखने से भी इसकी समस्या बहुत बढ़ रही है। *लक्षण:-* ०१. यह बीमारी बढ़ती उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में उपस्थि कुशन में होने वाले अनुचित बदलावों के कारण होता है। ०२. बाजुओं में कमजोरी महसूश होना और गर्दन में हर समय रहने वाली ऐंठन इस बीमारी की ओर इशारा करती है। ०३.ऐसा देखा गया है कि 40 की उम्र के बाद रीढ़ की हड्डी के बीच उपस्थि कुशन कमजोर हो जाती है और रीढ़ की हड्डी का लचीलापन भी कम हो जाता है, इससे नस पर दवाब आने लगता है और असहनीय दर्द, संवेदनशून्यत, झनझनाहट, कमजोरी, आदि महसूस होती है।
०३. एक ही मुद्रा में लम्बे समय तक गर्दन की हड्डी के इस्तेमाल से दो हड्डियों के बीच की खाली जगह कम हो जाती है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी मांसपेशियों में बाधा आने से गर्दन और उसके आस पास दर्द होने लगता है,जो आगे चलकर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस बन जाता है। ०५. कई बार यह दर्द तेजी से कंधों से सर की ओर फैल जाता है, कुछ मरीजों में यह पीठ में भी असर डालने लगता है और फिर कंधों से होकर हांथों और उंगलियों तक भी महसूस होने लगता है,सर के पिछले हिस्से में बहुत दर्द होता है, चक्कर आने लगता है। *कारण:-* ०१. वैवसाइक कारण, ०२. अनुवांशिक कारण, ०३. स्थिति और आदतें – लगातार सर झुकाकर काम करना, टेलीफोन को कंधे के सहारे रखकर लम्बे समय तक बात करना आदि से भी इसका खतरा बढ़ जाता है। *क्या करें:-* ०१. जब लम्बे समय तक एक ही अवस्था में बैठकर या झुककर काम करना हो तो समय-समय पर ब्रेक जरूर ले ताकि मांसपेशियों को राहत मिल सके और जकड़न दूर हो सके। ०२. यदि आपको आगे की ओर झुककर काम करना होता है तो काम के बाद कुछ देर पीछे की ओर झुककर एक्सरसाइज जरूर कर लें।
०३. यदि आपको निरंतर गर्दन में दर्द होता है तो फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह से गर्दन का एक्स- रे करवा लें।०४. यदि आपको यह बीमारी हो ही गई है तो सही उपचार लें और एक्सरसाइज करें,अवश्य आराम मिलेगा।सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की जांचे-एक्स रे,एम आर आई आदि।डॉ०रोली के अनुसार अगर किसी को यह बीमारी हो जाए तो सबसे पहले
फ़िज़ियोथेरेपिस्ट से मिलकर सलाह ले लेनी चाहिए।