*कोई भूखा न रहें अभियान के तहत गरीब व जरूरतमंदों के बीच भोजन वितरित किया गया। हर खबर पर पैनी नजर।*

वंदना झा।

समस्तीपुर:- कोरोना से बचाव को लेकर सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन को लेकर काम नहीं मिलने से दिहाड़ी मजदूर परिवार भूखे मरने की स्थिति में हैं। दो रोटी के लिए वे दरबदर की ठोकरें खा रहें हैं। उनमें से कई आधे पेट तो कई भूखे सोने को मजबूर है। वहीँ सरकारी की घोषणा अमल में आते-आते समय लग जाता है, कोई अचरज नहीं। ऐसी स्थिति में जनता ने अपने वोट देकर बतौर सुख-दु:ख के साथी जनप्रतिनिधियों मसलन एमपी, एमएलए आदि को चुना।

लेकिन दु:ख की इस घड़ी में पीड़ित जनता के बीच आने के बजाए आज तमाम जनप्रतिनिधि भी क्षेत्र में नहीं दिखते। जनता अपने भगवान भरोसे पर है। वैसी स्थिति में आज कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भूखों के मसीहा के रूप में उनके बीच हैं।सामाजिक सहयोग से प्राप्त सामग्री ईकट्ठा कर उसे भोजन तैयार कराकर प्रतिदिन लोगों को भोजन कराते हैं। उन्हीं में से एक है धरमपुर निवासी खालीद अनवर की टीम प्रो० सैफुल्लाह सैफ, नाजमी, सादिया जैनब, सनोवर परवीन, शबनम, उजमा रहीम, में सरफुद्दीन, मो० तनवीर, डा० महबूब आदि उनके टीम मेंबर हैं।

यह टीम एक सप्ताह से “कोई भूखा न रहे अभियान” के तहत चिन्हित कर गरीब, दिहाड़ी मजदूर की बस्ती में घूम-घूम कर तैयार किया हुआ भोजन पहुंचाते है। अन्य दिन की भातिं शुक्रवार को भी शहर के पश्चिम-उत्तर धरमपुर के जलेबियां मोर, बांध किनारे की झुग्गी बस्ती, गंडक पुल, चकनुर पुल, पूसाफार्म रोड, अलीनगर आदि जगहों के परिवारों के बीच ये टीम के द्वारा भोजन वितरित किया। इस कार्य को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उक्त जानकारी प्रेस को व्हाट्सएप द्वारा देते हुए सामाजिक सह राजनीतिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि दिहाड़ी मजदूर, दलित, गरीब, रिक्शा, ठेला चालक, विधवा, विकलांग, वृद्ध व्यक्ति आदि की स्थिति दैनिए हैं, अनेकों परिवार के पास राशनकार्ड नहीं है।

अनेकों परिवारों को पाश मशीन आने के बाद राशन मिलना बंद हो गया है। वैसे परिवारों के लिए यह भोजन डूबते को तिनके का सहारा के समान है। उन्होंने अन्य दलों व संगठनों आदि से भी अपील किया कि वे भी पीड़ित की सेवा में मैदान में उतरे।

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