राज कुमार राय
पटना:– बिहार राज्य के 227 सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का 2012 से आज तक का अनुदान की राशि का भुगतान नहीं किए जाने को लेकर राज्य भर के शिक्षकों एवं शिक्षेत्तर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। पूरे बिहार के महाविद्यालयों के जांच के नाम पर मात्र 75 कॉलेज को सही पाने के बाद भी अधिक से अधिक डेढ़ करोड रुपए महाविद्यालय को दिए जाने को लेकर शिक्षकों एवं कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है क्योंकि अधिकांश कर्मचारी अनुदान के आशा में बैंकों से कर्ज लेकर अपने बेटी-बेटा की शादी-ब्याह, पढ़ाई -लिखाई, दवा-दारू करके अपना जीवन किसी तरह खींच रहे हैं, कई लोगों ने अपने पुत्र-पुत्री के पढ़ाई वास्ते शिक्षा लोन वापस नहीं दिए जाने के कारण उनके उपर बैंकों की तलवार लटक रही है। वहीं कई लोगों ने मकान बनाने के लिए हाउसिंग लोन भी लिया है। बैंक मैनेजर और उपभोक्ताओं के बीच विवाद भी होते रहते हैं। सरकार जितने रुपया देगी उससे कई गुना अधिक रुपए बैंकों के कर्ज में सूद समेत देने के बाद भी मुक्ति नहीं मिल पाएगा। बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस काली करतूतों का खिलाफत बिहार के शिक्षक एवं कर्मचारी करेंगे। इस बीच बिहार राज्य शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के नेताओं ने कहा है कि मुख्यमंत्री के इस रवैया से शिक्षक को समाज में अपमानित होना पड़ता है और कर्ज में धीरे-धीरे डूब रहे हैं, कई शिक्षक और कर्मचारी ने तो पैसे के अभाव में जीवन लीला भी समाप्त कर चुके हैं।