अनूप नारायण सिंह
पटना:- यह खूबसूरत और चुलबुली व हिंदुस्तान के उस शहर से आती है, जो अपनी मिठास के लिए जाना जाता है. मोनालिसा का असली नाम अंतरा बिस्वास है। वह कोलकाता में पली-बढ़ी हैं. यह कहना गलत नहीं संघर्ष गाथा होगा कि किस्मत उन्हें पश्चिम से पूरब खींचकर ले गई. अंतरा एक मध्यमवर्गीय परिवार की होनहार लडक़ी हैं. उन्होंने संस्कृत में ऑनर्स किया है. लेकिन उनका बचपन का सपना था बड़े पर्दे पर खुद को देखना, तो उसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी और परिवार की इच्छाओं के विरुद्व जाने का साहसिक निर्णय लिया. वह खुशी के साथ बताती हैं, ”मैं कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करती थी. मेरा परिवार आर्थिक रुप से समृद्ध नहीं था, लेकिन मैं अपनी शॉपिंग के लिए नौकरी करती थी. मैं ताज होटल में होस्टेस थी. मैंने दूसरी नौकरी ओबराय ग्रैंड में की. सोलह हजार रुपए मेरी सैलरी थी. तब मैं 18 साल की थी. वहां बंगाल फिल्म इंडस्ट्री और फैशन वल्र्ड के बहुत लोग आते थे. वो कहते थे कि आप बहुत खूबसूरत हैं. आपको फिल्मों में ट्राय करना चाहिए,
सबके उत्साहवद्र्धन के बाद अंतरा ने कमर कस ली. उन्होंने पोर्टफोलियो बनवाया और कोलकाता में फिल्मों में अपने लिए जगह तलाशने लगीं. ”मैंने पहली बार स्वप्न सहा की फिल्म स्नेहर प्रोतिदान (2003) के लिए कैमरा फेस किया. उसमें मेरा सिर्फ एक डायलॉग था. आज मैं वह फिल्म देखती हूं, तो मुझे खुद को देखकर हंसी आती है.. वह खिलखिलाते हुए कहती हैं. कुछ बंगाली सीरियल और फिल्मों में छोटे-मोटे काम करने के बाद अंतरा ने 2004 में मुंबई का रुख किया. उसका कारण वह बताती हैं, ”बंगाली फिल्मों में उतना पैसा नहीं है और हर किसी का सपना हिंदी फिल्मों में पहचान बनाना होता है.. बचपन से ही डांस की विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षित अंतरा ने मुंबई आने के बाद गणेश आचार्य की डांस एकेडमी जॉइन की. इस खूबसूरत शहर के शुरुआती दिनों के बारे में अंतरा बताती हैं, ”मैंने मुंबई आने के बाद टी-सीरीज के कुछ रीमिक्स म्यूजिक वीडियोज जैसे जिया बेकरार है, जरा-जरा बहकता है, रेशम का रुमाल में काम किया. उसके बाद मुझे मेरी पहली हिंदी फिल्म मिली तौबा-तौबा.
तौबा-तौबा फिल्म के लिए अंतरा ने अपना नाम बदलकर मोनालिसा रख लिया. इस फिल्म में काम करने के बाद मोनालिसा के पास बी ग्रेड की फिल्मों की लाइन लग गई और वे उन्हें स्वीकार भी करती गईं. जलवा-द फन इन लव, बॉबी, लंदन कॉलिंग जैसी सात-आठ फिल्मों में उन्होंने काम किया. उनके इस फैसले से उनका परिवार नाखुश था, लेकिन मोनालिसा ने इसकी परवाह नहीं की. ”अगर मैं यह सोचकर बैठती कि मुझे अच्छा काम मिलेगा, तभी करुंगी, तो मेरा घर कैसे चलता? मैंने बहुत सी लड़कियों को देखा है, जो कोलकाता से मुंबई आईं और अच्छे काम की तलाश में घर में बैठी रहीं और फिर एक दिन कोलकाता लौट गईं. मैं नहीं चाहती थी कि वैसा ही मेरे साथ भी हो. इन फिल्मों में काम करके मोनालिसा भी दिल से खुश नहीं थीं.
इसका अनुमान उनकी इस बात से लगाया जा सकता है. ” हो सकता है कि वह मेरा गलत कदम था. घर के लोग फोन करके पूछते थे कि तुम इस स्टार के साथ काम क्यों नहीं कर रही हो या उसके साथ काम नहीं कर रही हो, तो मैं जवाब नहीं दे पाती थी. पैरेंट्स कहते थे कि अच्छा काम करो. लेकिन मेरे लिए काम ज्यादा मायने रखता था. मुझे जो भी पहचान मिली थी, मैं उससे खुश थी. मोनालिसा ने अजय देवगन, प्रियंका चोपड़ा और सुनील शेट्टी अभिनीत फिल्म ब्लैकमेल (2005) में एक आइटम सॉन्ग इमली इमली यह सोचकर किया था कि उनके करियर को फायदा होगा, मगर वह फिल्म ही नहीं चली.
वर्ष 2007 मोनालिसा के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया. उन्हें भोजपुरी की पहली फिल्म कहां जइबा राजा नजरिया लड़ाइके मिली. इसके निर्माता सुनील बुबना थे और हीरो थे दिनेश लाल यादव निरहुआ. ”सही मायने में मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत भोजपुरी फिल्मों से हुई. भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री ने मेरे टैलेंट का अच्छी तरह इस्तेमाल किया. मुझे पहचान दी, लोकप्रियता दी और सम्मान दिलाया. अच्छी बात यह हुई कि मेरी पहली भोजपुरी फिल्म बड़े बैनर की थी और मेरे हीरो दिनेश जी थे. इसकी रिलीज के बाद मुझे कभी मुडक़र देखने की जरुरत नहीं हुई. मैंने आज तक मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव, पवन सिंह, खेसालीलाल के साथ काम किया है, जो कि इस इंडस्ट्री के सुपरस्टार्स हैं. मोनालिसा खुशी से बताती हैं. भोजपुरी फिल्मों में मोनालिसा की डिमांड का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज पांच वर्ष में उन्होंने पचास से अधिक फिल्मों में काम कर लिया है. ”मैं कभी-कभी सोचती हूं कि अगर मुझे हिंदी फिल्मों में ऐसा ब्रेक मिला होता, तो मेरा करियर कुछ और होता. हंसते हुए मोनालिसा कहती हैं.
मोनालिसा का मानना है कि उनका लुक, गेटअप, फिगर, अभिनय और डांस उनके प्लस पॉइंट्स हैं. वह कहती हैं, ”आप मुझे वेस्र्टन आउटफिट पहना दीजिए या इंडियन, मैं दोनों में बहुत अच्छी दिखती हूं. मोनालिसा इस बात से सहमत नहीं हैं कि भोजपुरी में केवल हेल्दी हीरोइनें ही चलती हैं. वह कहती हैं, ”भोजपुरी फिल्म के दर्शक हिंदी फिल्में भी देखते हैं. अगर उन्हें सिर्फ मोटापा पसंद होता, तो करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा नहीं चलतीं. भोजपुरी दर्शकों को मोटापे से फर्क नहीं पड़ता. वह एक्टिंग देखती है.. मोनालिसा का कहना है कि उनकी फिल्में कहां जइबा राजा नजरिया लड़ाइके, हो गईनी दीवाना तोहरा प्यार में, सैंया के साथ मड़इया में, दूलहा अलबेला, तू जान हउ हमार, हम हईं खलनायक सबको जरूर देखनी चाहिए.
स्वयं कास्टिंग काउच का सामना कर चुकीं मोनालिसा मानती हैं कि इस तरह के प्रस्ताव को स्वीकार करना या नहीं करना एक लडक़ी पर निर्भर करता है. वह बेझिझक बताती हैं, ”मुझे किसी ने इस तरह का प्रस्ताव दिया था, लेकिन एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इंडस्ट्री में टैलेंट से काम मिलता है. कास्टिंग काउच हर इंडस्ट्री में है. यह लडक़ी पर निर्भर करता है कि वह इस सिचुएशन को कैसे हैंडल करती है. यह सोचना कि कास्टिंग काउच की वजह से काम मिलेगा, पूरी तरह गलत है. बिंदास और खुशमिजाज स्वभाव की मोनालिसा अपने करियर की तेज रफ्तार और व्यस्तता से खुश और संतुष्ट हैं. अपनी नई फिल्मों नागिन, इज्जत, इश्क का मंजन घिसे है पिया, रंग दे प्यार के रंग में, गंगा पुत्र, जान लेबू का हो और दबंग मोर बलमा के प्रदर्शन का वह उत्सुकता से इंतजार कर रही हैं.