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अनूप नारायण सिंह।
पटना:- 2 फरवरी 1979 को गाजीपुर में जन्मे दिनेशलाल यादव निरहुआ आज अपनी जिंदगी की जिस ऊंचाईयों पर हैं। उसके लिए उनका मेहनत, दृढ़ संकल्प और ईमानदारी है। तभी आज वे अभिनेता के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता भी हैं। मगर एक वक्त ऐसा भी था जब तंगी में निरहुआ और उनके परिवार को जिंदगी गुजर बसर करनी पड़ी थी।
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वहीँ निरहुआ जब यूपी के गाजिपुर के टंडवा गांव में रहा करते थे तो जीवन उस समय उनके लिए इतना सरल नहीं था। वे चकाचौंध की दुनिया से दूर एक गरीब किसान के साधारण से लड़के थे। मगर उस समय से ही निरहुआ को फिल्में देखने का शौक था। उनके पिता काफी सख्त मिजाज के थे। इस वजह से घर से निरहुआ को फिल्में देखने की इजाजत नहीं दी जाती थी।
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मगर इसके बावजूद फिल्मों को लेकर उनकी दिलचस्पी इतनी थी कि वे आधी रात को घरवालों से छिप कर सिनेमा देखने जाया करते थे।उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें परिवार को तंगी में छोड़ कर कलकत्ता जाना पड़ा। इस दौरान कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए निरहुआ अपने पिता और भाई के साथ झुग्गी में रहे थे। निरहुआ के फिल्मों में अभिनय करने और गाने के लिए उनके चचेरे भाई विजय लाल यादव का हाथ है।
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निरहुआ को बचपन से ही उन्हें गाना गाने का शौक था, जिसने एक दिन उन्हें सिंगर बनाय दिया। फिर किस्मत ने उन्हें स्टार भी बनाया। और निरहुआ रिक्शावाला से शुरू हुई पर्दे की जर्नी आज तक निरहुआ ने चलल लंदन, निरहुआ हिंदुस्तानी, पटना से पाकिस्तान, निरहुआ रिक्शेवाला और राजा बाबू समेत तमाम फिल्मों के साथ अनवतर चल रही है।