रमेश शंकर झा
समस्तीपुर बिहार।
समस्तीपुर:- जल जीवन हरियाली पर्यावरण के तहत जल है तो हरियाली है, हरियाली है तो जीवन है। यही कहा गया है कि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। परंतु इन दिनों इस वैज्ञानिक युग में कल कारखाने यातायात के साधनों में भारी वृद्धि पेड़ों की कटाई वन क्षेत्र के प्रतिशत मैं निश्चित सीमा में कमी, विलासितापूर्ण जीवन, रेडियो एक्टिविटी, परमाणु अस्त्रों का परीक्षण और सबसे बड़ी बात की जनसंख्या विस्फोटक आदि के परिणाम स्वरूप हमारा पर्यावरण काफी प्रदूषित हो गया है।
पर्यावरण पृथ्वी के आवरण को कहते हैं यानी पृथ्वी के चारों तरफ जाल, मिट्टी, हवा, पेड़-पौधे, नदी, तालाब, सागर, जीव-जंतुओं आदि के समूह को हम पर्यावरण के नाम से पुकारते हैं। प्रकृति के द्वारा इनमें एक निश्चित मात्रा में प्राकृतिक संधटको का सम्मिलित किया गया है। इसे हम प्राकृतिक संडलन कर सकते हैं। इसी परिस्थित में हम कह सकते हैं कि हमारे पर्यावरण संरक्षित है। लेकिन पर्यावरण के विभिन्न अंगों के संगठन में जब विघटन होने लगता है तब ऐसी स्थिति में पर्यावरण प्रदूषित होने लगता है जो हमारे मानव जीवन के लिए ही नहीं बल्कि पूरे जहां के लिए या एक चिंतनीय समस्या बन जाता है। जैसे कि आज परिस्थितिक संगठनों में भारी अंतर के कारण पर्यावरण प्रदूषण ना सिर्फ हमारे देश भारत के लिए ही बल्कि आज यह समस्या पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। इस पर्यावरण प्रदूषण से मानव आज विभिन्न प्रकार की बीमारियों, कहीं अनीदृष्टि, तो कहीं अनावृष्टि, तो कहीं बेमौसम की बरसात,हवा में जहरीला गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा में तेजी से वृद्धि हमारे लिए घातक साबित हो रहा है। आज पृथ्वी के तापमान में संवृद्धि के परिमाप स्वस्थ लोगों का जीवन कठिन होता जा रहा है जल प्रदूषण के साथ-साथ पृथ्वी के जल स्तर में चिंतनीय एवं गिरावट पृथ्वी पानी हमारी मृदा भी प्रदूषित हो रही है।
यह ना सिर्फ हमारे वातावरण जीवन के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक गंभीर समस्या साबित होगी। इन्हीं विषम परिस्थितियों से निजात पाने हेतु राज्य सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली कार्यक्रम को जन सहयोग से चलाया जा रहा है। इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए ही राज्य की ओर से आगामी 19 जनवरी 2020 को एक बेहद मानव श्रृंखला का कार्यक्रम रखा गया है। वस्तुत हम पर्यावरण की रक्षा कर ही मानव जीवन को सुखद एवं निरोग बना सकते हैं।