विवेक यादव
फ़ुर्सत के पल में ✍🏻
- दुनिया में जीने के लिए इंसान के जीवन – ज्ञान की कुंजी *
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जीवन को जानना और समझने के साथ ज़िंदगी सकारात्मक सोच – विचार और अच्छे कर्म के साथ कैसे जिए …. संसार के अधिकतर इंसान उलझा हूवा है । हल ढूँढने की कोसिस करते रहता है पर मार्ग मिलने पर भी संतुष्ट नही हो पा रहा है । इसका मूल कारण इंसान की ख़्वाहिशें .. उसे संतुष्ट होने नही दे रही है । हम पुलिस सेवा में आए … एसोंसीएशन के अध्यक्ष बने । पहचान मिला नाम के साथ ख्याति मिला । हमें संतुष्टि होनी चाहिए ।….. पर इंसानी आदतें ख़्वाहिशें कही न कही कुछ मन – मस्तिष्क हो दबी होगी । इससे निश्चित रूप से निकलने के लिए …. कृष्ण के गीता उपदेश से ज्ञात कर … जीवन पथ पर गतिमान होना चाहिए । ज़िंदगी को ख़ुशी पूर्वक जीने के मूल मंत्र ख़ुद की संतुष्टि को अपने सोच – कर्म के दिनचर्या में अमल लाय । अपने को हर इंसान पूर्ण – और सत्य का प्रतिबिम्ब समझता है । पर क्या ए सही में सत्य है । इसे ख़ुद को ख़ुद से समीक्षा के ज़रूरत है ।
“सत्य” की “भूख” सभी को है
लेकिन….
जब “परोसा” जाता है तो बहुत कम लोगों को इसका “स्वाद” पसंद आता है
सफलता के 21 मँत्र
- खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
- दिन में कम से कम 3 लोगों की प्रशंसा करो..!
- खुद की भुल स्वीकारने में कभी भी संकोच मत करो..!
- किसी के सपनों पर हँसो मत..!
- आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
- रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
- खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
- किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार…पूछो..!
- कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
- ईश्वर पर पूरा भरोसा रखो..!
- प्रार्थना करना कभी मत भूलो, प्रार्थना में अपार शक्ति होती है..!
- अपने काम से मतलब रखो..!
- समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो…!
- जो आपके पास है, उसी में खुश रहना सिखो..!
- बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो, क्योकिं बुराई नाव में छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबो ही देती है..!
- हमेशा सकारात्मक सोच रखो..।
- हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
- कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?
- सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते है।
- कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पड़ता है।
- एक आखरी बात जीवन में “गुरु” न हो तो जीवन बेकार इसलिए जीवन में “गुरू” जरूरी हैं “गुरुर” नहीं पेड बूढा ही सही, आंगन में रहने दो, फल न सही, छाव तो अवश्य देगा
ठीक उसी प्रकार माता-पिता बूढे ही सही,घर में ही रहने दो, दौलत तो नहीं कमा सकते, लेकिन बच्चों को संस्कार अवश्य देंगे ।धन और धर्म ( कर्म ) में एक को चुनना हो तो कर्म को चुने । धन स्थिर नही होता पर कर्म से प्राप्त फल आप रहे या ना रहे जनमानस में आपके नाम से रहता है।