रमेश शंकर झा,
समस्तीपुर:- जिले के विभूतिपुर प्रखंड क्षेत्र के साख मोहन में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरु शिष्य मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महंत राम भजन दास ने किया। उन्होंने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि गुरू बिनु भव निधि तरहि ना कोई जो बिरंचि संकर सम होई। अर्थात गुरु के बिना संसार सागर से पार होना संभव नहीं है। सृष्टि कर्ता ब्रह्मा हो या संहार करता शिव। वहीं बेगूसराय लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी सह भा़सपा के प्रदेश संगठन सचिव डॉ० शंभु कुमार ने कहा कि शास्त्रों में 14 प्रकार के गुरुओं की चर्चा की गई है, कोई भी व्यक्ति जब हमारा मार्गदर्शन करता है उस समय वह हमारा गुरु है।
गुरु के बिना यह इहलौकिक या पारलौकिक, भौतिक सुखों की या ज्ञान की प्राप्ति या मोक्ष संभव नहीं है। गुरु की क्या महत्व है? इसका ज्वलंत उदाहरण महाभारत से हमें मिलता है। जहां पर एकलव्य ने अपने सांकेतिक गुरु द्रोणाचार्य के आदेश पर अपने शरीर के विशेष अंग अंगूठा का दान कर दिया था। गुरू ब्रह्मा विष्णु और शिव के समान होते हैं। आज हमारी गुरू शिष्य परंपरा कमजोर होते जा रहा हें। जो गिरते स्वभाव मानवीय समाज के लिए कलंक है। इससे जहां हमारे पारलौकिक सुखों की प्राप्ति नहीं होगी।
वहीं इहलोकीक दुखों के अथाह सागर में डूबते चले जाएंगे। आज हमारे समाज की ऐसी स्थिति हो गई है कि हम एक दूसरे को बिना स्वार्थ के किसी रूप में देखना या अपनाना नहीं चाहते है। जोकि शायद पशुओं में भी इतनी कटुता नहीं है इसलिए समय रहते हमें पुन: अपनी गौरवपूर्ण परंपरा को स्वस्थ्य शाश्वत सक्रिय करना होगा नहीं तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति सिकुड़ते चली जाएगी और हम सिर्फ पशुवत जीवन की तरह भोग और भोजन ही अपने जीवन का लक्ष्य बना बैठेंगे। जिसके परिणाम स्वरूप कोई किसी का देखने और सुनने वाला नहीं होगा जिसकी शुरुआत तो शायद हो चुकी है और वो दिन दूर नहीं जब हर एक व्यक्ति इसका शिकार हो जाएंगे।
इस कार्यक्रम के मौके पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार को रखें और भारतीय सनातन संस्कृति धर्म गुरु शिष्य परंपरा को कायम रखने की संकल्प लिया। इस अवसर पर आदित्य ठाकुर ने अपने सपरिवार गुरु जी से मिलने के लिए पूर्णिया से साख मोहन आए। बड़ी खुशी की बात है व्यावहारिक तौर पर हमारे गुरु की परंपरा आज भी जीवित है। अब जरूरत है सिर्फ इसे ईमानदारी से पालन करने की। मौके पर उपस्थित लोगों में ध्रुव सिंह, श्याम नन्दन सिंह, सीताराम सिंह, वीरेंद्र सिंह, रेहाय सिंह इत्यादि गणमान्य लोग शामिल थे।