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समस्तीपुर:- जिले के खानपुर प्रखंड क्षेत्र के चक्का गावं में उत्क्रमित मध्य विद्यालय के निकट विनय प्रसाद सिंह के आवास पर अमर शहीद बाबू जगदेव प्रसाद की 99वीं जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जितेंद्र नारायण सिंह, मुख्य अतिथि डॉक्टर उमा शंकर सहनी राष्ट्रीय संयोजक जन क्रांति मोर्चा नई दिल्ली, विशिष्ठ अतिथि लक्ष्मी नारायण सिंह पूर्व प्रधानाध्यापक मोरसंड, अंजुम वारिस व्याख्याता टीचर ट्रेनिंग कॉलेज समस्तीपुर, बृज नंदन राम सेवा निवृत शिक्षक,राम बाबू अधिवक्ता,रालोसपा प्रखंड अध्यक्ष सह समाजसेवी अरुण कुमार सिंह कुशवाहा,प्रेमानंद सिंह ने बाबू जगदेव प्रसाद के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लक्ष्मी नारायण महतो ने किया। वहीं संचालन अरुण कुमार सहनी के द्वारा किया गया। इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर उमा शंकर सहनी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सभी अपने कर्तव्य से पूर्ण रुप से भटक चुके है। हमें आज जहां पहुंचना चाहिए वहां नहीं पहुंच रहे है। क्यूंकि सामंतवादी वैवास्था हमें रोक देती है, आज हम शहीद बाबू जगदेव प्रसाद की 99वीं जयंती मना रहे है।
लेकिन उनके मारगदर्शन पर नहीं चल रहे है अगर उनके अधूरे सपने को साकार करना है तो हमें उनके बताए गए मार्गदर्शन पर चलना होगा। इसके लिए हमें अपने घर में डॉक्टर, इंजिनियर, राजनीतिज्ञ के साथ साथ बाबू जगदेव प्रसाद जैसा पैदा करना होगा तब जाकर हम उनके सपने को पूरा कर पाएंगे। इसके लिए हमें अपने टुकड़े- टुकड़े लोगों को एक कर संगठन को मजबूत करना होगा। वहीं युवा मोहन मौर्य ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जगदेव बाबू विकास पुरुष थे। उन्होंने बिहार के नव निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।
इसीलिए उन्हें लोगों ने बिहार लेनिन का नाम दिया। वह गरीबों, दलितों, शोषित तथा पीड़ितों के मसीहा थे। जीवन पर्यंत उन्होंने समाज में कमजोर वर्ग के लोगों के लिए कार्य किया। वह व्यक्ति नहीं विचारक थे। जगदेव बाबू भारतीय चिंतकों की उस कतार से सम्बंधित थे जो सांस्कृतिक बदलाव के लिये जीवनपर्यंत लड़ते रहे। संस्कृति और सत्ता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और अफ्रीका में एक समानता यह है कि इन स्थानों पर मूल निवासियों को शोषण और भयंकर अलगाव का सामना करना पड़ रहा है।
इसका हल समता, ममता, अपनत्व तथा इंसाफ़ पसंदगी के साथ ही अपने से अलग एवं कई बार विपरीत विचार रखने वाले को भी इन्सान होने का सम्मान देकर ही हासिल हो सकता है। वहीं पूर्व प्रधानाध्यापक लक्ष्मी नारायण सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि जगदेव बाबू एक जन्मजात क्रन्तिकारी थे। उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में अपना नेतृत्व दिया, उन्होंने ब्राह्मणवाद नामक आक्टोपस का सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक तरीके से प्रतिकार किया। भ्रष्ट तथा ब्राह्मणवादी सरकार ने साजिश के तहत उनकी हत्या भले ही करवा दी हो लेकिन उनका वैचारिक तथा दार्शनिक विचार आज भी हमारे लिए प्रेरणादायी है।
इस मौके पर समाजसेवी प्रेमानंद सिंह ने कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद का जयंती हमें संकल्प दिवस के रूप में मनाना चाहिए।बाबू जगदेव प्रसाद गरीब, दलितों, वंचितों और शोषितों के हक की लड़ाई लड़ते रहे अंत में सामंतियों एंव मनुवादियों के द्वारा वीर गति को प्राप्त हो गए। समाजसेवी अरुण कुमार सिंह कुशवाहा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद का मुख्य नारा था कि नब्बे पर दस का शासन नहीं चलेगा। “सौ में नब्बे भाग हमारा है” उन्होंने कहा कि अपने आपमें हमें पहचानना होगा और समाज के कुरीतियों के विरूद्ध क्रांति छेड़नी होगी।
समाज में उनकी उंच नीच के भेद भाव को बदलना होगा। इस मौके पर शिक्षक प्रदीप सहनी, हरिश्चंद्र राय,अरुण सहनी,विनय कुमार सिंह,अशोक कुमार राय,बैजनाथ, डॉक्टर विशुन देव राय, हरेराम वर्मा,राम ज्ञान राय,अरुण कुमार राय,आनुंदू महतो, कल्पु राम सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।