राज्य की कुछ जगहों पर परंपरागत, धार्मिक एवं ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार की अवधारणा है, ऐसे घाटों को विकसित किया जाए:- मुख्यमंत्री।
वन्दना झा
पटना:- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय पार्ट-2 के तहत नगर विकास एवं आवास विभाग से कार्यान्वित होने वाली योजनाओं की समीक्षा की।
समीक्षा बैठक में नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव श्री आनंद किशोर ने आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 (2020-25) के तहत विभाग से जुड़ी योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया। प्रस्तुतीकरण में सभी शहरों एवं महत्वपूर्ण नदी घाटों पर विद्युत शवदाह गृह सहित मोक्षधाम का निर्माण कराना, सभी शहरों में स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करना, विकसित शहर योजनान्तर्गत ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी बेघर गरीबों हेतु बहुमंजिला भवन बनाकर उनके आवासन की व्यवस्था करने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी।
समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अतुल प्रसाद ने वृद्धजनों हेतु आश्रय स्थलों के निर्माण, आश्रय स्थलों के बेहतर प्रबंधन एवं संचालन की व्यवस्था के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में रह रहे बेघर गरीब भूमिहीनों के आवासन के लिये बहुमंजिला भवन निर्माण हेतु कार्य योजना बनाकर तेजी से काम करें। उन्होंने कहा कि वृद्ध अमीर हों या गरीब जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है उनके लिए सभी शहरों में वृद्ध आश्रय स्थल का निर्माण तेजी से कराया जाए। इन वृद्ध आश्रय स्थलों पर भोजन, चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ-साथ अन्य जरुरी सुविधाओं के लिए समुचित व्यवस्था हो। आश्रय स्थलों के बेहतर प्रबंधन एवं संचालन की व्यवस्था विभाग अपने स्तर से करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी शहरों में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करें, इससे शहरों में जलजमाव की समस्या पैदा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शहरों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की समुचित व्यवस्था हो, जिससे शहर विकसित एवं साफ-सुथरा रहे। आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर कचरों का सदुपयोग हो सके इसके लिए कार्य करें। राज्य में भी कचरा के सदुपयोग हेतु कुछ जगहों पर जीविका दीदियों द्वारा मॉडल रुप में कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा देश की अन्य जगहों पर भी हो रहे ऐसे बेहतर मॉडलों का अध्ययन कर इस संबंध में यहां भी काम करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलित रहेगा तो लोगों का जीवन भी बेहतर होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दाह संस्कार हेतु सभी जिलों में स्थलों का सर्वे करा लें और शवदाहों के निर्माण के लिए तेजी से कार्य करें। सभी शहरों एवं महत्वपूर्ण नदी घाटों पर बेहतर सुविधाओं के साथ विद्युत शवदाह गृह एवं परंपरागत शवदाह स्थल के निर्माण की व्यवस्था की जाए, जिससे दाह संस्कार में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि पटना का बांस घाट सबसे पुराना घाट है। यहां और नए विद्युत शवदाह गृह के निर्माण के साथ-साथ परंपरागत शवदाह स्थल की व्यवस्था की जाए। बांस घाट से गंगा नदी की धारा दूर चली गयी है। परंपराओं को ध्यान में रखते हुए शवदाह गृह के बगल में दो तालाबों का निर्माण कराया जाए, जिसमें गंगा नदी का पानी भरा रहे। एक तालाब में दाह संस्कार से जुड़े कार्य हो सकें तथा दूसरे तालाब में लोग स्नान कर सकें, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि शवदाह स्थल पर आने वाले लोगों के लिए स्नानागार, शौचालय, चेंजिंग रुम, पेयजल, कैंटींन की व्यवस्था के साथ ही दाह संस्कार एवं पूजन से जुड़ी सामग्रियों हेतु जगह निर्धारित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कुछ जगहों पर परंपरागत, धार्मिक एवं ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार की अवधारणा है, ऐसे घाटों को भी विकसित किया जाए। नदियों के किनारे जहां अंतिम संस्कार पहले से होते आ रहे हैं, वहां नदी किनारे ही बगल में तालाब की व्यवस्था की जाए और उसमें पानी का प्रबंध किया जाए ताकि लोगों को अंतिम संस्कार के कार्य एवं स्नान में सुविधा हो सके और नदी का जल भी स्वच्छ रह सके। गांवों में भी एक ऊंची जगह को चिन्हित कर वहां शवदाह गृह के निर्माण की व्यवस्था सुनिश्चित करें। शवदाह गृह स्थलों की घेराबंदी के साथ ही वहां पहुॅच पथ को बेहतर बनायें।
बैठक में उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास एवं आवास मंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण श्री अतुल प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव श्री आनंद किशोर, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, बुडको के प्रबंध निदेशक श्री रमन कुमार सहित नगर विकास एवं आवास विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।