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समस्तीपुर:- जिले में सर्दी एवं शीतलहर बढ़ने के कारण मौसम में काफी बदलाव आया है। इस मौसम में पाला गिरने की काफी हद तक संभावना रहती है। जिस वजह से किसानों की दिल की धड़कन तेज हो जाया करती है। बताते चलें कि मौसम में बदलाव आने के कारण किसान चिंतित हैं कि उनके द्वारा लगाए गए फसल जैसे आलू, टमाटर, मटर सहित अन्य फसल काफी हद तक प्रभावित होगी। जानकारों की माने तो इस तरह के मौसम में बर्फ अर्थात पाला गिरने की काफी संभावना बनी रहती है, जिस वजह से आलू की फसलें बर्बाद हो जाती है वही तंबाकू की फसलें पूरी तरह से प्रभावित होती है और पाला के चपेट में आकर नष्ट हो जाती है। वहीं मक्के की भी फसल पूर्ण रूप से प्रभावित होती है। इसके साथ ही साथ सब्जी की बात करें तो विभिन्न तरह के सबजी जैसे गोभी, टमाटर, मटर उक्त सभी फसलें (बर्फ) पाला गिरने से गलता जैसी बीमारी उन फसलों में लग जाती है। जिससे फलें गिरने लगती है और इस तरह से किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उनका फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। वैसे प्राकृतिक मौसम के आगे किसी का जोर तो नहीं चलता, किसान करें भी तो क्या करें। लेकिन इस तरह का मौसम होने पर किसानों की धड़कने जरूर तेज हो जाती है।हम बात करें मछली पालन विभाग के किसानों की तो उनका भी इस मौसम में काफी नुकसान होता है, जो लोग मछली पालन करते हैं इस तरह के पाला के कारण मछलियों की विकास नहीं हो पाती है और किसान घाटे में चले जाते हैं। आम जनजीवन की बात करें तो सर्दी के मौसम में पूरे अस्त-व्यस्त नजर आते हैं, सुबह से शाम तक लोग सूर्य की एक किरण पाने को लालायित रहते हैं। इस स्थिति में लोग आग के सहारे पूरे दिन और रात बिताने को मजबूर रहते हैं। हालांकि अभी तो यह शुरुआत है अब देखना यह है कि इस तरह से मौसम कब तक बनी रहती है। वैसे देखा जाए तो मनुष्य को हर तरह के मौसम की आवश्यकता होती है उनका जीवन दर्शन करने को लेकर, समयनुसार देखा जाए तो ठंड भी महत्वपूर्ण है।लेकिन शीतलहर किसानों के लिए सिरदर्द भी होती है।