सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है नि:शुल्क उपचार की सुविधा।
रमेश शंकर झा।
समस्तीपुर:- आमजनों को जागरूक करने के उदेश्य से प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल मधुमेह का जश्न मनाने के पीछे अलग-अलग लक्ष्य होते हैं। इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस का थीम ‘नर्स और डायबिटीज’ है। यह विषय मधुमेह की रोकथाम और मैनेजमेंट में नर्सों की भूमिका पर प्रकाश डालता है। किसी व्यक्ति को मधुमेह की समस्या है तो उस व्यक्ति के लिए इस बीमारी से छुटकारा पाना असंभव हो जाता है। लेकिन अगर मधुमेह के रोगी अपनी बीमारी के बारे में थोड़ी सी भी सावधानी बरतें, तो मधुमेह से होने वाले बड़े खतरों से बचा जा सकता है। कारण असंतुलित भोजन ही नहीं है, लेकिन कभी-कभी प्राकृतिक और आनुवंशिक कारणों से मधुमेह हो जाता है। मधुमेह दो कारणों से हो सकता है, पहला कारण यह है कि शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, या फिर शरीर में इंसुलिन का प्रभाव पहले से कम हो जाता है। जो भी स्थिति हो सकती है, दोनों कारणों से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण मधुमेह नामक बीमारी होती है।
*मधुमेह रोगी अपने आहार का विशेष ध्यान रखें:-*
मधुमेह रोगी अपने आहार का विशेष ध्यान रखें। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो किसी व्यक्ति के जीवन के अंत तक रहती है। इसलिए मधुमेह के खतरे से बचने के लिए सभी आवश्यक सावधानियों को आजमाना महत्वपूर्ण है। जिले के सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर मधुमेह रोगियों की जांच व परामर्श की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। वहां पर जाकर अपनी जांच करा सकते है। जिला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर भी जांच की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। जहां पर प्रशिक्षित नर्सों के द्वारा स्क्रिनिंग की जाती है।
*मधुमेह दो तरह का होता है:-*
1श्रेणी:- मधुमेह अक्सर हमारे बचपन या किशोरावस्था में होता है, जिसमें शरीर में इंसुलिन के उत्पादन में अचानक कमी होती है। इसके साथ ही शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने के कारण, इसे नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना आवश्यक हो जाता है। टाइप वन मरीजों की मात्रा बहुत कम पाई गई है।
श्रेणी-2:- मधुमेह के रोगी आमतौर पर 30 साल के बाद लोगों में धीरे-धीरे होने लगते हैं, टाइप 2 मधुमेह वाले अधिकांश लोग अपने सामान्य वजन से अधिक हो जाते हैं। उनका पेट बाहर निकलने लगता है। कभी-कभी यह आनुवांशिक होता है, कई मामलों में यह खराब जीवन शैली से संबंधित होता है। अधिकांश मधुमेह के रोगी टाइप टू श्रेणी में आते हैं।
*मधुमेह रोगी धूम्रपान से रहें दूर:-*
सिविल सर्जन डॉक्टर सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मधुमेह के रोगियों को आइसक्रीम, चीनी, गुड़, जैम, केक, पेस्ट्री आदि से दूर रहना चाहिए। उन्हें उबला हुआ भोजन खाना चाहिए। तला हुआ खाना या प्रोसेस्ड खाना उनके लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए शराब, कोल्ड ड्रिंक्स आदि खतरा से भी कम नहीं है। मधुमेह के रोगी को धूम्रपान से भी दूर रहना चाहिए। आलू, मूंगफली, शकरकंद जैसी सब्जियां बहुत कम मात्रा में खानी चाहिए या उन्हें नहीं खाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को केला, शरीफा, चीकू, अंजीर, खजूर आदि फलों से भी बचना चाहिए।
*महत्वपूर्ण सावधानियां भी बरतनी चाहिए:-*
शुगर लेवल की जांच अवश्य करवाएं,
छोटे गाँव को खुला न छोड़ें,
जूस पीने के बजाय फल चबाएं,
नियमित रूप से समर्थन करें और अपने वजन को लगातार मापते रहे।