वंदना झा
पटना:- कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुये। वहीँ वीडियो कॉन्फ्रेंस में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों तथा आगे की रणनीति पर विस्तृत रुप से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को बिहार की स्थिति तथा बिहार सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों के साथ-साथ बिहार एवं बिहार के बाहर फंसे हुए बिहारियों के लिए की जा रही व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्री गण, अधिकारीगण को दूसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इससे हर राज्य को एक दूसरे के बारे में जानकारी मिलती है। आज सोशल मीडिया का जमाना है। जिसके माध्यम से भी एक दूसरे के बारे में जानकारी मिलती रहती है लेकिन यह जरुरी नहीं है कि सोशल मीडिया के द्वारा मिली सभी सूचना सही ही हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो निर्णय लिया है, हमलोग उसका अनुपालन कर रहे हैं। जबसे कोरोना वायरस के बारे में जानकारी मिली है, लोगों को सचेत किया गया है। बीच में कुछ दिन समस्या आयी थी क्योंकि लॉकडाउन के दौरान भी दिल्ली से लोगों को भेज दिया गया था। जितने लोग बिहार आए उनको घरों तक पहुंचाया गया। उनके लिए अलग रहने, भोजन, चिकित्सा आदि का प्रबंध भी किया गया। उनलोगों के लिए जितना कुछ किया जा सकता है हमलोग कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तक बिहार में 24 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और 1 व्यक्ति की मृत्यु हुई है। 2 लोग कोरोना वायरस से रिकवर भी हुए हैं। बिहार में 1 व्यक्ति की जो मौत कोरोना वायरस से हुई थी, उनकी मृत्यु के बाद कोरोना वायरस की रिपोर्ट आयी। इसके कारण कई लोगों में ये स्प्रेड हो गया। मृतक के घर और अस्पताल से संपर्क में आए 11 लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हो गए। इस तरह 24 में 12 कोरोना वायरस के मामले एक व्यक्ति के चलते फैल गया। इसके बाद हमलोगों ने इससे संबंधित एक-एक चीज का परीक्षण करवाया ताकि कोई व्यक्ति जांच से न छूटे। विदेश से बिहार आए सभी लोगों पर हमलोग ध्यान दे रहे हैं, उन सभी लोगों का टेस्ट भी करवा रहे हैं। दूसरे राज्यों से बिहार आए लोगों को स्थानीय स्तर पर चिन्हित किया गया है। ऐसे 1 लाख 74 हजार 470 लोग हैं, जिनमें 12 हजार 51 विदेशी के रुप में देश के बाहर से आए हुए लोग शामिल हैं। सभी को हमलोगों ने होम कोरेन्टाइन में रखा है। खासकर विदेश से आए लोगों की जांच कराते जा रहे हैं। होम कोरेन्टाइन की व्यवस्था हमलोगों ने गांव के स्तर पर भी किया है। स्कूलों में आशा वर्कर, आंगनबाड़ी सेविका, ए0एन0एम0 आदि सब लोगों को इसमें शामिल किया गया है। ये काम बहुत अच्छे ढंग से कर रहे हैं। जितने भी जन प्रतिनिधि हैं चाहे वे नगर निकाय के हों, या फिर पंचायती राज व्यवस्था के, उन सब लोगों को इसमें शामिल किया गया है। मुखिया के अलावे पंच और सरपंच को भी इसमें शामिल किया गया है। मुख्य सचिव के स्तर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बराबर उनसे संवाद किया जा रहा है। हमलोगों ने भी उनसे संवाद किया है और उनसे राय मांगी है कि इसको लेकर और जो भी कुछ किया जा सकता है उसके बारे में सूचित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग अपने स्तर से ये सब कर रहे हैं। सबको मालूम है कि बिहार के लोग देश के कई राज्यों में रहते हैं और वहां काम करते हैं। जो लोग वहां रह गये हैं उनका ख्याल वहां की राज्य सरकारों द्वारा रखा जा रहा है। हमलोगों के यहां भी कई लोगों ने फोन किया है, उन सब लोगों की मदद की जा रही है। जिनलोगों ने फोन किया है उन सबको सरकार के स्तर पर मदद करने का हमलोगों ने निर्णय लिया है और उन सबकी मदद की जा रही है।
इन सबके अलावा तबलीगी जमात के चलते जो सबसे बड़ी समस्या आयी है उसके बारे में हमलोगों ने पता किया है। तबलीगी जमात के 112 लोगों की सूचियां हमलोगों को प्राप्त हुई हैं, जिसमें से बिहार के 12 लोगों को ट्रेस किया जा चुका है। इनमें से कई लोग बिहार के बाहर ठहरे हुए हैं। 55 लोगों को ट्रेस करने में हमलोग लगे हुए हैं ताकि उनकी जांच कराई जा सके। जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अलग से अस्पताल की व्यवस्था हो, तो इसको लेकर हमलोगों ने नालंदा मेडिकल अस्पताल को कोरोना वायरस के इलाज के लिए सुनिश्चित कर दिया है। इन सब चीजों पर हमलोग शुरु से ही जो संभव है करने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा आग्रह दवाओं और इक्यूपमेंट की उपलब्धता को लेकर है। लेबोरेट्री टेस्ट को प्रभावी बनाने के लिए भारत सरकार से अधिकृत टेस्टिंग कीट्स और उसके साथ उपयोग में आने वाली अन्य सामग्री जैसे बी0पी0, आर0एन0ए0 एक्सट्रैक्शन किट आदि को समाहित करते हुए एक सेट के रुप में दिया जाए, जिसका काफी अच्छा परिणाम होगा। इसके साथ ही कोविड-19 की रोकथाम और उपचार के लिए जो सामग्री हैं जैसे एन- 95 मास्क, पी0पी0ई0 किट का इंतजाम होना चाहिए। वेंटिलेटर के बारे में भी हमलोगों ने बात की है। 5 लाख पी0पी0ई0 किट की हमलोगों ने मांग की है, अभी तक 4 हजार ही मिल पाया है। इसके साथ ही 10 लाख एन- 95 मास्क की हमलोगों ने मांग की है, जिसमें से अभी तक 50 हजार ही मिल पाया है। 10 लाख सी प्लाई मास्क की मांग की गई है, जिसमें से अभी तक 1 लाख मिल पाया है। 10 हजार आर0एन0ए0 एक्सट्रैक्शन किट की मांग की गई है, जिसमें से अभी तक 250 ही मिल पाया है। हमलोग कम से कम 100 वेंटिलेटर चाहते हैं, अभी तक ये उपलब्ध नहीं हो पाया है।
इन सब चीजों की उपलब्धता से संक्रमित लोगों के इलाज में सहुलियत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी से भी अक्सर चर्चा होती रही है, इसके साथ ही बिहार के प्रमुख चिकित्सक, एक्सपर्ट के साथ हमलोगों ने बैठक की है और जानने की कोशिश की है कि इसको लेकर और क्या-क्या करना चाहिए। लॉकडाउन के बाद भी आगे कैसे काम करना है इन सब चीजों के बारे में हमलोगों ने चर्चा की है। इस संबंध में सबकी राय हमलोगों ने मांगी है। मेडिकल सॉफ्टवेयर की सहायता हमलोगों को चाहिए। मुख्यमंत्री ने अनुरोध करते हुए कहा कि एफ0आर0बी0एम0 एक्ट के हिसाब से फिस्कल डेफिसिट की सीमा 3 प्रतिशत है। 2009-10 के वित्तीय संकट के दौरान इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया था और 2010-11 में 3.38 से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत किया गया था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगों को जरुरी सहुलियतें दी जा रही हैं। कोरोना संक्रमण चीन से शुरु होकर अब अमेरिका जैसे विकसित देशों में यह पूरी तरह से फैल चुका है। भारत में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जिस तरह सब लोगों ने काम किया है, इसको लेकर हमलोगों को भरोसा है कि जल्द ही हमलोग इससे मुक्ति पाएंगे। हमारा अनुरोध होगा कि फिस्कल डेफिसिट की सीमा को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत या उससे भी अधिक कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने अपने यहां काफी कुछ शुरु किया है, आपदा प्रबंधन का केंद्र कई जगहों पर बनवाया है और बिहार के बाहर भी कई जगहों पर कर रहे हैं। बिहार के अंदर रहने वालों की हमलोग मदद कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के उन्मुलन के लिए हमलोगों ने कोरोना उन्मूलन कोष का गठन किया है। जिसके अंतर्गत एम0एल0ए0 और एम0एल0सी0 एक साल में 3 करोड़ की राशि खर्च करने की अनुशंसा करते हैं, उसमें से कम से कम 50 लाख की राशि हमलोगों ने कोरोना उन्मूलन कोष में ट्रांसफर करा दिया है। अब बिहार के राज्यसभा और लोकसभा के एम0पी0 1 करोड़ की राशि अपने-अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसा कर रहे हैं जिसका उपयोग नहीं हो पाएगा, क्योंकि कोरोना को लेकर जो कुछ किया जा रहा है वह किसी क्षेत्र विशेष में नहीं हो रहा है इसलिए पैसा यूं ही बचा रह जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर गृह मंत्रालय विचार करें कि राज्य के सांसद यदि मदद करना चाहते हैं तो वे कोरोना उन्मूलन कोष में मदद करें। हमलोग गरीब राज्य होने के बावजूद आपदा प्रबंधन के माध्यम से जो भी प्रभावित है उनकी मदद करते आ रहे हैं।
कोरोना को आपदा मानते हुए इससे प्रभावित लोगों को आपदा पीड़ितों की तरह ही मदद कर रहे हैं। हमारी अपेक्षा है कि अवेयरनेस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकलेंगे। गांव के लोग भी सचेत हैं जो बाहर से आए हैं उनको अलग ठहराने में लगे हुए हैं। ऐसे लोग जो बाहर से आए हैं उनलोगों को अलग ठहराने का प्रबंध के साथ-साथ भोजन, चिकित्सकीय सुविधा स्कूलों या अन्य आपदा राहत केंद्रों पर की गई है।