रामायण पाठ व श्रीराम नाम धुन संकीर्तण से माहौल बना भक्तिमय
वन्दना झा
विद्यापतिनगर । जीवात्मा को परमात्मा से किसी भी प्रकार का संबंध जोड़ना चाहिए तभी मानव जीवन सफल होता है। मिथिलावासियों का तो सहज सौभाग्य है जो आदिशक्ति जानकी के साथ बहन एवं पारब्रह्म राम के साथ बहनोई का नाता जोड़ सकते हैं। उक्त बातें वृन्दावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने शुक्रवार को कहीं । प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में आयोजित चौथा वार्षिकोत्सव सह राम चरित्र मानस नवाह महायज्ञ के दरम्यान उन्होंने अपनी संगीतमय प्रस्तुति “जनक किशोरी मोरी लगथिन बहिनियाँ मिथिला के नाते” कि
प्रस्तुति से उपस्थित श्रद्धालुओं को संबंध से भरें भाव को आयाम प्रदान किया।
कहा कि मिथिलांचल के चरवाहे,हलवाहे सहित साधारण लोग भी इस पद को गाकर भगवान के साथ सहज संबंध बना लेते है। इसी को मिथिला का दिव्य भाव कहा जाता है। बसंत पंचमी के पश्चाद सीता राम की विदाई की गई और अयोध्या में उनका भव्य स्वागत हुआ यहाँ पर दशरथ ने अपनी रानीयों को आदेश दिया कि सीता पुत्र वधू के रूप में गृहलक्ष्मी बनकर आई है और उन्हें ससुराल में सास ससुर परिवार के ओर से पूरा प्रेम एवं सम्मान मिलना चाहिए।इस बहाने उन्होंने समाज के प्रति लोगों को संदेश दिया कि किसी भी लेन देन या दहेज के कारण यदि पुत्र वधू को सताया जाता है तो लक्ष्मी वहाँ नहीं टिकती। रामकथा के सातवें दिवस में आचार्य हेमचन्द्र ठाकुर ने राम वनवास की चर्चा करते हुए बताया कि केकैयी मंथरा के षडयंत्र के कारण ही राम सीता को वनवास हुआ। करकस वाणी ही केकैयी हैं जहाँ करकस वाणी का प्रयोग होता, कलह होती वहाँ राम नही टिकते। रामकथा में केवट, आदिवासी कोहल भीलो का बड़ा आदर किया गया है और राम ने दलित पिछड़े वर्ग के लोगों को गले लगाकर सम्मान किया यही राम की विशेषता एवं आदर्श है। मौके पर मंदिर के महंथ सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास उर्फ पंडित विनोद झा, विस अध्यक्ष के निजी सचिव रजनीकांत चौधरी उर्फ बबलू, प्रखंड जदयू अध्यक्ष हरेश प्रसाद सिंह,पंचायत अध्यक्ष सज्जन कुमार झा,मुखिया दिनेश प्रसाद सिंह,
नवीन कुमार सिंह,अमरनाथ सिंह मुन्ना,गणेश साह, गौतम कुमार सिंह,सचिन कुमार सिंह,राजू चौधरी आदि मौजूद रहे। इधर रामायण पाठ व श्रीराम नाम धुन संकीर्तण से माहौल भक्तिमय बना हुआ है