*मेयर सीमा साहा को ढाई साल तक बचाने में पुलिस अफसरों की भूमिका रही अहम। हर खबर पर पैनी नजर।*

चुनाव आयोग ने फैसला दिया तो मेयर की जा सकती है कुर्सी

गलत जांच रिपोर्ट देने वाले अधिकारी पर कारवाई होगी?

जांच रिपोर्ट दबाने व गायब करने वाले पर क्या कारवाई होगी?

संजीव मिश्रा

भागलपुर:- अभी मेयर सीमा साहा के उम्र को लेकर नगरनिगम से लेकर पुलिस महकमे तक महाभारत छिड़ा हुआ है। इसमें कई कड़ियां धीरे धीरे ही सही लागातर जुट रही है। असत्य उम्र प्रमाण पत्र देकर वार्ड 50 से पार्षद और फिर मेयर बनी सीमा साहा के झूठ पर पर्दा डालने और उन्हें बचाने में तत्कालीन जिला पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने आरोपी की हर तरीके से लाभ पहुचाने का ही काम किया है। हम पूर्व में जाते हैं तो जून 2017 में पहले तत्कालीन सदर एसडीओ ने असत्य रिपोर्ट (एसडीओ ऑफिस के ज्ञापांक-632/ 7.6.2017) देकर आरोपी मेयर को बचाने की कोशिश कर मामले की लीपापोती कर दी। पुनः जब दूसरे तत्कालीन सदर एसडीओ ने नवंबर 2017 में मेयर की झूठी जानकारी की पोल खोलने वाली जांच रिपोर्ट (सदर एसडीओ ऑफिस के पत्रांक-1376/ 1.11.17) दी तो वह वरीय एसएसपी ऑफिस से गायब हो गई।

भागलपुर मेयर सीमा साहा


इसका बात का खुलासा सिटी एसपी सुशांत कुमार की जांच में स्पस्ट हुआ। अगर यह रिपोर्ट 2017 में ही पुलिस को मिल जाती तो मेयर के अभियुक्तिकरण के बिंदु पर निर्णय लेने में इतना समय नही जाता, साथ ही अबतक नतीजे भी आ चुके होते। बिना किसी को जानकारी दिए जांच हुई तो सामने आया यह बड़ा सच।
मेयर को बचाने को लेकर यह जांच रिपोर्ट एसएसपी ऑफिस में ही दबा दी गई थी।
वरीय एसएसपी आशीष भारती को इस जांच रिपोर्ट को लेकर गुप्त सूचना मिली, उन्होंने 23 सितंबर 2019 को सिटी डीएसपी और केश आईओ के साथ केस की समीक्षा की, उन्होंने एसडीओ की उक्त जांच रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश करने और केस डायरी में इसका उल्लेख करने का निर्देश दिया।
एसएसपी आशीष भारती ने सदर एसडीओ की उक्त रिपोर्ट पर फिर से जांच कर रिपोर्ट मांगी। तब सिटी डीएसपी राजवंश सिंह ने जांच की। इसके बाद तत्कालीन एसडीओ की रिपोर्ट को जांच का आधार बनाया और आरोपी मेयर सीमा साहा को दोषी मान केस ट्रू किया।


सिटी डीएसपी की रिपोर्ट से संतुष्ट सिटी एसपी सुशांत कुमार सरोज ने भी रिपोर्ट-टू जारी किया व मेयर को गिरफ्तार न कर नोटिस देने का निर्देश दिया।
पहले भी मेयर को बचाने की कोशिश हुई थी, तत्कालीन एसडीओ अपनी जांच में मेयर को क्लीन चिट दे चुके थे।

झंझट टाइम्स के तपतिष में यह बात सामने आयी कि जांच रिपोर्ट दबाने व गायब करने वाले पर क्यों नही कोई कारवाई हो रही ?
वहीं कानूनी जानकार की मानें तो
मेयर के उम्र विवाद में पुलिस रिपोर्ट के बाद चुनाव आयोग ने फैसला दिया तो उनकी मेयर की कुर्सी जा सकती है।
इसे लेकर नगरनिगम में सियासत तेज हो गई।
हालांकि नगरनिगम चुनाव में मेयर के लिए पार्षद बबीता देवी उम्मीदवार थीं। कयास लग रहा है कि इस बार भी दावेदार वो हो सकती हैं।

मेयर के खिलाफ तो पुलिस ने कार्रवाई कर दी है, लेकिन जिस रिपोर्ट के आधार पर मेयर को पुलिस ने दोषी पाया, उस रिपोर्ट को दबाने और गायब करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसएसपी ऑफिस में आखिर किस कर्मी की देखरेख में वह रिपोर्ट थी, उसे चिह्नित तक नहीं किया गया। क्या रिपोर्ट दबाने या गायब करवाने के पीछे किसी आला पुलिस अधिकारी की भूमिका थी? इसकी जांच कौन करेगा।

उधर तत्कालीन उपमेयर सह पार्षद डॉ. प्रीती शेखर ने बताया कि हमारी लड़ाई कोई व्यक्तिगत नहीं है, मैं केवल सत्य को बाहर लाना चाहती थी,सत्य को सार्वजिनक करने के लिये पुलिस प्रशासन को धन्यवाद देती हूं,पर इसमें ढाई साल का लंबा वक्त लग गया ।

Related posts

Leave a Comment