*पांच दिवसीय लक्षाहुती अम्बा महायज्ञ हुआ प्रारंभ। हर खबर पर पैनी नजर।*

राजेश कुमार रौशन समस्तीपुर बिहार।

समस्तीपुर:- जिले के बिथान प्रखंड क्षेत्र के जगमोहरा गाँव मे कमला, कोसी, बागमती नदी के त्रिवेणी संगम स्थल पर पांच दिवसीय लक्षाहुति अंबा महायज्ञ को लेकर कलश शोभायात्रा महारानी के मंदिर परिसर से भ्रमण करते हुए, त्रिवेणी संगम तट पर पहुंच कर वैदिक मंत्रों उच्चारण के उपरांत कलश में जल भर कर यज्ञ स्थल पर पहुँचा। वहीँ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश पूजन किया गया। बताते चलें कि कलश व्रती के रूप में पांच छोटी कुमारी कनिया को विशेष प्राथमिक दी गई, कई अन्य परुष व्रती भी शामील थे।

स्नान घाट की बात करे तो बिहार राज्य के विभिन्न जिलों से लाखों की संख्या में जगमोहरा त्रिवेणी धाम पर श्रद्धालुओं के द्वारा महाकुंभ स्नान में हिस्सा लिया गया। भजन कृतन से इलाका का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। श्री श्री 108 स्वामि चिदात्मन महाराज के द्वारा अपने प्रवचन के मध्यम से लोगों को मन को मुग्ध करते रहे। श्री स्वमी ने आध्यत्म से जुड़ी चर्चा करते हुए अपने मुखारविंद से बताये की युगातीत प्रागैतिहासिक आध्यत्मिक परम्परा को चिन्हित करने वाला हमारा प्राथमिक ग्रंथ अपौरुषेय वेद औऱ अगम है।

जो विश्व पुस्तकालय की पहली पुस्तक और सत्य सनातन धर्म का आधार स्तम्भ माना गाया है।स्तय सनातन धर्म और संस्कृति सृष्टि सरचनाका के साथ संचालित संबर्धित और संरक्षहित है।जल ही जीवन है, जल एवं हरियाली के बिना सृष्टि को रहना सम्भव नहीं है।इसलिए पौधा को होना आवश्यक है।जल एवं हरियाली के बिना मनुष्य को जिना दुर्लभ्य होगा ।इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को जल संरक्षण ,पौधा लगाना चाहिए।षडागह वेद का प्राकट्य भी नदी के किनारे ही हुआ है।इस सर्वमंगलदाता, सर्वपाप नाशक , सर्वरोगनाशक ,वर्धक कहा गया है।

सत्यान्वेषण के लिए अनादिकाल से साधक सिद्ध, सूजन तटीय क्षेत्र में वास रहा है।लेकर पूर्णतः सिद्धि की प्राप्ति किया है।भारत तीन हिस्सा में समुद्र जल एवं एक हिस्सा हिमालय पर्वत से सुरक्षित है।अर्थात सर्वश्रेष्ठ तप करने वाला स्थान मन गया है।जिनमें गंगा यमुना, सरस्वती ,नर्मदा सिधु ,नारायणी ,गंडकी ,सदानीरा ,गोदावरी ,आदि प्रमुख नदिया है।नदी +नदी संगम प्रयाग और तीन नदियों का संगम विश्वास में आध्यत्म देश भारत और भारत मे मिथला की अपनी पहचान अलग रही है।इसमें द्वादशदित्य द्वादशत्मा ,चन्द ओर वृहस्पति का योग प्रधान है।सुर्य को त्रैलोक्य नाथ ब्रह्मा विष्णु रुद्र तथा द्वादश के सूर्य को विष्णु कहा गया है।

इसी प्रकार शास्त्रनुसार सूर्य ,चन्द्र ,पृथ्वी योगसे ग्रहण योगवर्णीत है।आध्यत्मिक वैयानिक का यह शोध भौतिक वैयानिक के लिये भी मान्य है।मिथिलान्तर्गत सर्वमंगला अध्यात्मयोग विधापीठनर्गत द्वादश कुम्भ के साथ साथ तीन कुम्भ निदान माना गया है।अर्थात आग्रह में नरैनी (गंडकी +गंगा )गंगा संगम हरिहर क्षेत्र ,पौष में कमल कोसी ओर बागमती ,(लक्षमी +काली +सरस्वती)मिलन स्थली जगमोहरा त्रिवेणी धाम ओर माघ मास में नारायणी गंडकी स्वर्ण भद्रा ताम्र भद्रा त्रिवेणी सगम वाल्मीकि नगर अदभुत तपस्थली है।भगवान वेद शास्त्रों में वर्णित तिथि 07/10/24 ई0 पुर्व में यह कौशकी नदी का तट विश्वामित्र की कठोर तपस्थली रही है। जो पूरा मास स्नान नहीं किया ।परंतु पौष मास पूर्णिमा के दिन स्नान करने सारा दोष से मुक्त हो जाता है।भाग्य से यह त्रिवेणी कोसी, कामला, बागमती, हो जाय तो उनके भाग्य को सराहना को कर सकता है।इसलिए जगमोहरा त्रिवेणी धाम स्नान मात्र से
कपयवृक्षह की भांति सारे अभीष्ट को सिद्ध करने वाला है।

अतः पौष पूर्णिमा के दिन 10 से लेकर 15 जनवरी 2020 तक जगमोहरा त्रिवेणी स्थल पर कुम्भ स्नान का योग लिख रहा है।जो उत्तम माना गया है।मौके पर घनश्याम कुमार ,कौशलेंद्र कुमार,राजीव सिंह लक्षण ,नृपेनदानन्द, नारायण
झा ,रामशंकर झा ,शम्भू मिस्र, अमन कुमार सिंह ,दिनेश कुमार सिंह ,स्वामी रविन्द्र ब्रह्मचारी ,स्वामी सत्यान्द जी प्रोफेसर पी 0 के0 झ प्रेम, विजय कुमार, नीलमणी, दिनेशचंद, राजकिशोर,समस्त जगमोहरा ग्रामवासी उपस्थित थे।जहाँ जहाँ चरण पड़े सन्तन के(स्वामी गुरदेव)! वहाँ धाम बन जाते हैं-डा, विजय कुमार ,इस अवसर पर माननीय सम्मानित अतिथि प्रो, प्रवीण कुमार झा प्रेम जी ने मिथिला के महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि -हम परम सौभाग्यशाली है कि हमारा जन्म मिथिला के पवित्र भूमि हुआ हइससे पहले आगत अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर ग्यान मंच का उद्घाटन किया गया।

सभी अतिथियों को मिथिला के परम्परा के अनुसार पाग दुपट्टा से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर माननीय मुख्य अतिथि डा, जयशंकर झा(संस्थापक अहल्या सेवा संस्थान) ने अपनी सुन्दर वाणी में यग्य एवं उसके महत्व पर विशिष्ट उद्वोधन दिया।: आज जगमोहराधाम, विथान में पाँच दिवसीय लक्षाहुति अंबा यग्य के अवशर पर आयोजित ग्यान मंच के उद्घाटन के अवशर पर विशिष्ट अतिथि डा, विजय कुमार झा ने कहा कि जहाँ जहाँ स्वामी चिदात्मन जी महाराज के चरण पड़ते हैं, वहाँ स्वत: धाम बन जाता हैं।समाज सेवी उमेश चंद्र मुखिया सबों का आभार व्यक्त किया है।विशिष्ट अतिथि डा, मणिभूषण मिश्र ने इस अवसर पर स्थान की महत्ता एवं स्नान के वैज्ञानिक महत्व को समझाया।

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