राजकुमार राय,
समस्तीपुर बिहार।
समस्तीपुर:- जिले के उजियारपुर प्रखंड स्थित महंत नारायण दास महाविद्यालय चंदौली में आज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलसचिव विजय प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक स्वयं जलकर छात्रों के भविष्य में रोशनी देने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि भोला प्रसाद शास्त्री मुख्यमंत्री के समय शिक्षकों के लिए वेतन देने का प्रस्ताव आया था। महाविद्यालय के स्थापना में नियमों के अनुसार नहीं हो सकता परंतु धीरे-धीरे स्थापित होते हैं, जो आज भी कई अंगीभूत महाविद्यालयों में से अभी भी अधिक संरचना नहीं है। परंतु सरकार उसे धीरे-धीरे पूर्ति करने के उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से संबंध कराने पर जोर दे रही है।
डॉ० सिंह ने कहा कि बिहार का इतिहास है कि पूरे विश्व में ज्ञान के लिए नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय में लोग अध्ययन करने के लिए विदेश से आया करते थे जो धीरे-धीरे बिहार से लुप्त हो गए हैं। उन्होंने यह दावा किया कि पूरे देश में बिहार के छात्र मेघावी होने के बाद भी दूसरे राज्य में जाकर पढ़ने के लिए मजबूर है। जिसके कारण राज्य का आर्थिक नुकसान अरबो रु० साल में होते हैं। उन्होंने शिक्षक दिवस के मौके पर छात्र और शिक्षकों से अपील किया कि आप अपने शिक्षकों को सम्मान कीजिए और शिक्षक को भी चाहिए कि छात्रों को भविष्य के लिए उन्हें पठन पाठ ही नहीं बल्कि अपने पुत्र के समान व्यवहार करना चाहिये। शिक्षा जीवन का महत्वपूर्ण अमूल्य चीज है। उन्होंने उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि विलक्षण प्रतिभा के व्यक्तित्व थे।
उन्होंने जब अवकाश प्राप्त हो रहे थे वहां के छात्रों ने विदाई के समय बग्गी पर विदाई कर रहे थे तो मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा मुझे अपने छात्रों का याद जिंदगी भर सताता रहेगा। क्योंकि उस जमाने में बग्गी में घोड़ा नहीं होता था, छात्र अपने कंधे पर उन्हें स्वयं घर पहुंचाया था। उन्होंने उपराष्ट्रपति के पद के बाद उन्हें विदेश में भारत का राजदूत बनाए गए थे। इसके बावजूद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय में छात्रों को पढ़ाने के लिए आया करते थे। शिक्षा से उन्हें बहुत ज्यादा लगा था।
वहीँ मुख्य अतिथि के रूप डॉ० बम शंभू दत झा ने कहा एक शिक्षक के नाते राधा कृष्ण कई विषयों के विद्वान थे। अंग्रेजी में बेधड़क बोलते थे, उनका नाम सर्व पल्वी उनके गांव के नाम पर था। वह उत्तम कोटि के लोग किसी के परवाह नहीं करते है। वहीँ 1948 में आयोग बना कर शिक्षक को सही सममान देने और जीवन भर छात्र होते है, पेड़, पौधे और पक्षी से भी शिक्षक को सीख लेनी चाहिए। वही असली शिक्षक होते हैं। शिक्षक अपने दिन चर्चा को भी प्रकृति के दिनचर्या से सीख लेते है। शिक्षक और छात्रों को एक दूसरे से आदान प्रधान व विचार करनी चाहिए। उन्होंने अपने प्राचार्य जीवन में याद दिलाते हुए कहा कि जब डॉ० बम शंभू दत झा के लिए महाविद्यालय के तमाम छात्र एक जैसा होता था। उन्होंने अपने जीवन काल का एक वर्णन करते हुए कहा कि हमारी बेटी की ननंद परीक्षा दे रही थी, कदाचार के आरोप में मैंने उसे निष्काषित कर दिया था। निष्कासित करने के बाद मेरे पूरे परिवार संगे संबंधी मुझसे ना खुश हो गए थे। प्राचार्य और शिक्षक के रूप में था तो मैं प्रयास करता था कि मेरे छात्रों का कोई खाली घंटी न हो, खाली होता था तो मैं स्वयं किसी ना किसी विषय में उन छात्रों का क्लास लेता था। स्वयं यह लेने के लिए शिक्षक को भेजता था। परंतु आज यह सिस्टम समाप्त हो गया है। मैंने प्राचार्य होने के बावजूद समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर के छात्रावास का भी सुबह में निरीक्षण किया करता था। जिसमे मैं छात्रों से पूछताछ करता था, आप क्या पढ़े है।
वहीँ डॉ० झा ने आज कहा कि मैं आशा करता हूं कि महंत नारायण दास महाविद्यालय चंदौली डीम विश्वविद्यालय के रूप में परिणत होगा। वह दिन दूर नहीं है इनके अलावे कई विद्वानों ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक को एक संकल्प लेनी चाहिए कि बिहार का नाम पूरा दुनिया में प्रतिष्ठित कैसे होगा इस दिशा में काम करना चाहिए। सेमिनार को संबोधित करने वालों में डॉ० जवाहर झा, डॉ० संजय झा, डॉ० राम भरत ठाकुर अर्थशास्त्री मिथिला विश्वविद्यालय के अलावे कई विद्वानों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। सेमिनार की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य रामलाल महतो ने किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वास दिलाया कि यह पहला महाविद्यालय होगा जहां आवासीय बच्चों के लिए व्यवस्था की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विद्यालय का छात्र छात्राएं के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराए गए हैं। शिक्षक और कर्मचारियों के लिए भी सरकार के एक-एक नियमों का पालन करते हुए उनके भविष्य के लिए भी ख्याल करने का प्रयास कर रहा हूं। इस अवसर पर आए हुए मुख्य अतिथि डॉ० बम शंभू दत झा, उद्घाटन करता डॉ० विजय प्रसाद सिंह एवं संचालन करता डॉ० रामलाल महतो, डॉ० रामनरेश विकल, डॉ० राम भरत ठाकुर समेत कई लोगों को चादर, टोपी और मोमेंटो से सम्मानित किया गया। इस शुभ अवसर पर वर्तमान शिक्षा एवं नई शिक्षा नीति 2019 पर पुस्तक का विमोचन किया गया।