IPN, DK/DESK
हम से व्हाट्सएप पर जुड़ने के लिए टच करें
समस्तीपुर:- जिले के रोसड़ा परिषद क्षेत्र के अंतर्गत वार्ड 1 में स्थित सरकारी बस पड़ाव से आने -जाने वाली छोटी -बड़ी वाहनों में भाड़े की बढ़ोत्तरी से यात्रीगण परेशान हैं। भाड़े लेने के क्रम में बस कंडक्टर एवं यात्रियों में तू -तू मैं- मैं कोरोना काल के दौरान से ही चलती आ रही है।
विदित हो कि 2020-21 कोरोना काल में धीरे-धीरे भाड़े में बढ़ोतरी होती जा रही है, वैसे -वैसे यात्रियों के जेब पर आर्थिक दवाब बनती जा रही है। इसी को लेकर पिछले जुलाई महीने में समाजसेवी मिश्रा विश्व बारूद के द्वारा प्रशासन को रोसड़ा सरकारी बस पड़ाव आने -जाने वाली छोटी- बड़ी वाहनों में बेहताशा भाड़े बढ़ोत्तरी को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था।
ज्ञापन में उचित वाहन भाड़े तालिका लगाने की प्रशासन से मांग की गई थी, पर यह मांग ठंडे बस्ते में दबी हुई है। वहीं अनुमंडल क्षेत्र के सिंघिया के यात्री रामचंद्र सहनी, रोसड़ा प्रखंड अंतर्गत नई भिड़हा निवासी हरेराम पासवान, हसनपुर प्रखंड के हसनपुर बाजार निवासी विजय चौधरी, काशी यादव, समस्तीपुर से रोसड़ा व्यवहार न्यायालय आने-जाने वाले अधिवक्ता राकेश झा विभूतिपुर निवासी गौतम पासवान एवं राकेश यादव सहित दर्जनभर यात्रियों ने कहां की 2020-21 में छोटी- बड़ी वाहनों के भाड़े में बढ़ोतरी धीरे-धीरे हो रही है।
जिससे यात्रा करने वाले लोगों पर आर्थिक दबाव पड़ रही है, विशेष रूप से गरीब- गुरबों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ हीं इन लोगों ने कहा 2020 से जारी 2021 में हम लोग आशा किए की अब भाड़े की बढोत्तरी में अब नियंत्रण होगी -अब नियंत्रण होगी पर नियंत्रण के बदले और अनियंत्रण हीं होती जा रही है।
हम सभी स्थानीय लोगों ने प्रशासन एवं बिहार सरकार के परिवहन विभाग से उचित निर्धारित भाड़ा की मांग करते हैं। इस संबंध में समस्तीपुर जिला मोटर संघ अध्यक्ष रामबाबू सिंह एवं बस मालिक अमरेश कुमार सिंह सहित कई बस मालिकों ने बयाया की भाड़े में बढ़ोत्तरी लाजमी है, क्योंकि पिछले 2 वर्षों से डीजल -पेट्रोल के दाम बढ़े हैं, वाहनों के टायरों के दाम बढ़े हैं, जीएसटी में वृद्धि हुई है, वाहनों के पार्ट- पुर्जे के दामों में वृद्धि हुई है, इन तमाम वजहों से छोटी -बड़ी वाहनों के भाड़े में वृद्धि हुई है। दूसरी बात कोरोना काल में यात्री भी कम यात्रा करते रहे हैं। जिससे वाहन मालिकों को नुकसान उठाना पड़ा है। यदि इस मामले में बिहार परिवहन विभाग एवं स्थानीय प्रशासन अगर बीच का रास्ता निकालती है तो थोड़ी बहुत भाड़े में कमी आ सकती है।