*वर्ष 2025 तक भारत को टीवी मुक्त बनाने का लक्ष्य, अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नं० पर करें संपर्क। हर खबर पर पैनी नजर।*

अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर कर सकते हैं संपर्क।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोस्टर जारी कर दी जानकारी।

रमेश शंकर झा

समस्तीपुर:- जिले को यक्ष्मा मुक्त बनाने के लिए  टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग और पहचान तथा शीघ्र संभावित उपचार गंभीर मरीजों के लिए उपयुक्त रेफरल अस्पताल में भेजने की व्यवस्था हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर की गई है। यह जानकारी भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोस्टर जारी कर दिया है। भारत सरकार ने 2025 तक टीबी की बीमारी को  खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया हैं।

*टीवी मरीजों की पहचान होते ही कराएं इलाज*

सिविल सर्जन डॉ सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि यक्ष्मा रोग एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरु किया जाना चाहिए, ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उन्हें अपनी बलगम की जांच करवानी चाहिए।

*एमडीआर-टीबी हो सकता है गंभीर, रहें सतर्क*

एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यता एमडीआर-टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।

*घर बैठे टीबी से संबंधित ली जा सकती है जानकारी:-*

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टोल फ्री नंबर:- 1800116666 जारी किया है। इस नंबर की सहायता से स्वास्थ्य सेवाओं व योजनाओं का लाभ लेने, रोगों के बारे में जानने, दवाओं की जानकारी लेने, टीबी के प्रति जागरूकता, दवाएं लेने आदि के तरीके आदि के बारे में जानकारी ली जा सकती है।

*निक्षय पोषण योजना के तहत मिलते हैं 500 रुपये।*

टीबी के मरीजों को उचित खुराक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना चलायी गयी है। जिसमें टीबी के मरीजों को उचित पोषण के लिए 500 रुपये प्रत्येक महीने दिए जाते हैं। यह राशि उनके खाते में सीधे पहुंचती है।

*कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन:-*
एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

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