विवेक कुमार यादव
भागलपुर:- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर मुख्यमंत्री पद प्राप्ति की दिशा में प्रयास किया गया और पार्टी के सिद्धांत को ताक पर रखकर येन- केन-प्रकारेण मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुये। लगभग 35 दिनों तक महाराष्ट्र में महानाटक चला और जब तक तिकड़ी सरकार रहेगी तब तक सियासी नाटक चलता ही रहेगा और खलनायक की भूमिका शरद पवार अदा करते रहेंगे। शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस यानी तिकड़ी की सरकार बन तो गई लेकिन यह सरकार कितने दिनों तक बनी रहेगी? इस सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी उर्फ बाबा-भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने सुगमतापूर्वक बतलाया कि:- उद्धव ठाकरे सरकार का शपथ-ग्रहण समारोह 28 नवम्बर 2019 (गुरूवार) को 06 बजकर 40 मिनट सायं में हुई। उस समय आकाश मंडल में ग्रहों की स्थिति के अवलोकनोपरान्त ज्ञात हो रहा है कि वृषभ लग्न, धनु के चन्द्र व कर्क नवांश। वृषभ लग्न में सूर्य सप्तम स्थान में अवस्थित है। शपथ ग्रहण की कुण्डली में सातवाँ घर साझेदारी का होता है और इससे ही ज्ञात हो रहा है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन कैसी और कब तक रहेगी? सूर्य वृषभ लग्न में तटस्थ ग्रह होता है तथा तटस्थ ग्रह होकर मारक स्थान पर बैठा हुआ है।इसलिए ये यहाँ पर पृथक भूमिका निभाएगा और ये तिकड़ी शीघ्र दरार बनकर टूट सकता है।
अष्टम स्थान में पांच ग्रहों की युति अत्यंत प्रतिकूल है। इसलिए महाराष्ट्र की नवनिर्मित सरकार की आयु को ज्योतिषीय भाषा में अल्पायु कह सकते हैं। द्वितीयेश व पंचमेश बुध षष्टम स्थान में मंगल से पीड़ित है। यह स्थिति उद्धव सरकार से गलत निर्णय होने की ओर इशारा कर रहा है। राहु का द्वितीय भाव में अवस्थित होना तथा द्वितीयेश, पंचमेश बुध व सप्तमेश, द्वादेश मंगल पर पूर्ण दृष्टि के फलस्वरूप सरकार के लिए विस्फोटक स्थिति को दर्शाता है तथा जनता के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है और सरकार अपने किये वादों को पूरा नहीं कर पाएगी। अतः आकाश मंडल में ग्रहों की स्थिति व गोचर तथा उद्धव ठाकरे सरकार की शपथ-ग्रहण समारोह की कुण्डली के अवलोकनोपरान्त ज्ञात हो रहा है कि उद्धव सरकार की नैया खड़ी है बीच मझधार में और तिकड़ी में पड़ सकती है दरार तथा बरसात तक गिर सकती है सरकार। हम साधक हैं अपना अभ्यास व प्रयास कर रहे हैं लेकिन उसकी भी एक सीमा है और जो उस सीमा से आगे की बागडोर को संभालता है उसी का नाम ईश्वर है।