रमेश शंकर झा,
दरभंगा:- कोरोना संक्रमण के दौर में अधिकांश लोगों ने अपने इम्युनिटी पावर की बदौलत वायरस को मात दी है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार पिछले साल जब कोरोना आया था तो ठीक होने के बाद बुखार के मामले कम ही आते थे। लेकिन इस बार ऐसे मामले आ रहे हैं। चूंकि इस बार गंभीर लक्षण वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है और नए स्ट्रेन से लड़ना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। कोरोना होने और लक्षण उभरने के लगभग 10 दिनों तक शरीर में कई प्रकार की समस्या हो जाती है। निज़ी आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ० विनय ने कहा कोरोना की इस लड़ाई में जब हम विजेता बनकर उभरते हैं तो कुछ जख्म कुछ दिनों से कई हफ्तों तक हमें थोड़ा-बहुत परेशान करते रहते हैं। ऐसी ही एक परेशानी है कमजोरी और थकावट। अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो कमज़ोरी को भी हम कुछ दिनों में ही कम कर सकते हैं।
धीरे धीरे जाएगी कमज़ोरी, डॉ० विनय ने कहा कमजोरी जब लंबे वक्त तक रहती है तो लोग परेशान हो जाते हैं। फौरन ही इसे दूर करना चाहते हैं। ऐसे में एक साथ और जल्दी से ढेर सारा खाना खाने लगते हैं। ड्राई फ्रूटस की मात्रा भी बढ़ा देते हैं। यह सही नहीं है। खाने की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएं। आसानी से पचनेवाला खाना ही खाएं। ज्यादा ड्राई फ्रूट्स इस मौसम में गर्मी पैदा कर सकते हैं। अगर किडनी से जुड़ी कोई परेशानी है तो पानी की मात्रा उतनी ही रखें, जितनी डॉक्टर ने पहले तय की थी। इसे ज्यादा न बढ़ाए। स्टेरॉइड लेने की वजह से ऐसे लोगों की भी शुगर लेवल बढ़ सकती है, जिन्हें शुगर की परेशानी नहीं थी। जब स्टेरॉइड और पोस्ट कोविड लक्षण कम होते हैं तो शुगर भी नॉर्मल हो जाती है। शुगर पर लगातार नजर रखी जाए। आइसोलेशन से बाहर आने के बाद 7 से 10 दिनों तक ग्लूकोमीटर से सुबह फास्टिंग और पीपी लेवल जरूर देखें। खानपान भी ऐसा रखें जिससे शुगर का स्तर नहीं बढ़े। मिठाई न लें, ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स (चावल, रोटी आदि) से दूरी, तेल और घी कम लेना, चाय में चीनी नहीं लेना आदि।
कमज़ोरी के हो सकते अन्य कारण, शरीर में कमजोरी की वैसे तो कई वजहें हो सकती हैं। अगर कोई शख्स उपवास करता है तो उसे कमजोरी हो सकती है। अगर गर्मियों में पानी कम लें तब भी डिहाइड्रेशन की वजह से कमजोरी हो जाती है। कई दूसरी बीमारियों की वजह से जब खून की कमी होती है तो कमजोरी महसूस होती है। सामान्य बुखार होने पर भी कमजोरी हो जाती है। यहां तक कि ज्यादा मेहनत करने के बाद अगर हरारत की वजह से 99 फारेनहाइट तक बुखार हो जाए तो कमजोरी लगती है। वैसे तो कोरोना से उबरे ज्यादातर लोगों के लक्षण 5 से 10 दिनों में ही चले जाते हैं। लेकिन चंद लोगों में ऐसे लक्षण रह सकते हैं:- इस दौरान भूख में कमी, सिर और मांसपेशियों में दर्द, नींद न आना और बेचैनी या घबराहट, हल्का बुखार रहना व कमजोरी।
ऐसे में क्या करें,
कोविड के बाद के लक्षणों में कमजोरी बहुत ज्यादा है और भूख नहीं लग रही है तो डॉक्टर से पूछकर भूख लगने वाली एंजाइमयुक्त दवाओं का सेवन कर सकते हैं। एक बार भूख लगने वाली प्रक्रिया शुरू हो जाएगी तो लगातार खाना खाएंगे, जिससे कमजोरी दूर हो जाएगी। दरअसल, हमारी भूख को नियंत्रित करने का जिम्मा दिमाग में मौजूद हाइपोथेलेमस पर है और इसे कुछ चीजें अच्छी लगती हैं। बस इसका ध्यान रखना है।
खान पान पर दें ध्यान,
डॉ० कुमार ने बताया खानपान में ध्यान रखना है कि वह सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला न हो। बाजार से खरीदी गई तैयार खाने की चीजों से परहेज करें। जैसे- पैक्ड नमकीन, मिठाई आदि। ज्यादा तेल-मसाले वाली चीजें न खाएं। फ्रिज के पानी से दूरी बनाकर रखें। गर्मी का समय है। ऐसे में 1 गिलास बेल का शरबत ले सकते हैं। यह पेट के लिए अच्छा है और भूख भी जगाता है। शिकंजी पीना अच्छा लगता हो तो सामान्य पानी या मटके के पानी में बनाकर पीयें । अजवाइन का सेवन करें। चाहे तो एक चम्मच अजवाइन को एक चुटकी काला नमक के साथ मुंह में रखें और मुंह में बनने वाले रस को धीरे-धीरे चूसते रहें। इसे दिनभर में 2 से 3 बार करें या फिर एक चम्मच अजवाइन और एक चुटकी नमक फांक लें और एक गिलास गुनगुने पानी से निगल जाएं। इसे दिनभर में 1 बार करें। यह हमारे शरीर में पाचन वाले एंजाइम को निकालने में भी मददगार है। पपीते और धनिये का सेवन जरूर करें। हर दिन एक प्लेट पपीता लें और धनिया सलाद या चटनी के रूप में खाएं। इससे भी भूख जगती है। अगर खांसी न हो तो उस दही का सेवन कर सकते हैं जो खट्टा न हो। खट्टा होने से खांसी बढ़ने का खतरा रहता है।
सदैव कोरोना प्रोटोकॉल का करें अनुपालन,
कोरोना से बचाव के लिए उचित व्यवहार के साथ ही विभागीय प्रोटोकॉल का अनुपालन करें। मास्क पहने। हाथ को लगातार साबुन से साफ करें। बिना ज़रूरत के बाहर न निकलें। अतिआवश्यक होने की स्थिति में ही बाहर निकलें। भीड़ भाड़ में न जाए। लाकडाउन समाप्ति के बावजूद सतर्कता ज़रूरी है। कोरोना का खतरा बरकरार है। हर हाल में कोरोना से बचाव के लिए टीका ज़रूर लें। किसी प्रकार की चिकित्सकीय मदद के लिए निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सम्पर्क करें।