धर्मेन्द्र कुमार
समस्तीपुर:- जिले के 138 विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता ने बदलाव की राह पर चलकर एनडीए गठबंधन जदयू के सिटिंग प्रत्याशी राम बालक सिंह को बड़े अंतर (करीब 41000 मतों) से हराकर महागठबंधन सीपीआई (एम) के प्रत्याशी अजय कुमार को जिताने का काम किया। लोगों में बदलाव का जुनून सवार था और उन्होंने ऐसा ही किया भी। इस संबंध में क्षेत्र के मतदाताओं का कहना यह था कि सरकार किसी का भी बने लेकिन विभूतिपुर विधानसभा में बदलाव जरूरी है। बताते चलें कि लोगों ने तत्कालीन विधायक रामबालक सिंह पर कर्तव्य हिंता का आरोप लगाते हुए प्रखंड में घूसखोरी,भ्रष्टाचारी का मुद्दा उठाया था, क्षेत्र में लगातार बढ़ते अपराधिक मामलो से भी लोग तंग और तवा थे, लोगों का कहना था कि प्रखंड में एक भी पदाधिकारी स्वच्छ छवि के नहीं है, हर टेबल पर रिश्वत लिया जाता है, शराबबंदी के बावजूद भी क्षेत्र के हर गांव,मोहल्ले में धड़ल्ले से लोग शराब के कारोबार कर रहे हैं, पदाधिकारी और सरकारी अन्य कर्मियों के द्वारा मनमानी किया जा रहा है, आंगनवाड़ी की स्थिति दयनीय बनी हुई है। इस सब का दोष लोगों ने तत्कालीन विधायक पर थोपा और इसी को लेकर लोग बदलाव का मूड बना लिए, लिहाजा नए विधायक के रुप में अजय कुमार ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, फिर भी क्षेत्र में फिलहाल कोई शांति नहीं दिख रही है, हर जगह पूर्व की भांति चलता आ रहा है। बीते दिनों भी तीन प्रमुख अपराधिक मामले सामने आए हैं, जहां बेखौफ अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया है। अब देखना यह है कि शपथ ग्रहण के बाद न्यू वर्तमान विधायक अजय कुमार विधानसभा क्षेत्र के तमाम लोगों के विश्वास पर खरा उतर पाते हैं या उनके कार्यकाल में भी पूर्व की भांति लोगों को दुखों का दंश झेलना पड़ेगा। बड़ी उम्मीद के साथ लोगों ने उन पर भरोसा जताया है और अपना तीन तिहाई वोट क्षेत्र वासियों ने उन्हें दिया। निवर्तमान विधायक अजय कुमार के लिए क्षेत्र में लूट, खसौट, भ्रष्टाचारी और पदाधिकारियों की मनमानी, क्राइम पर अंकुश लगाना कड़ी चुनौती है। वहीं विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में और पंचायत के विभिन्न वार्डों में प्रतिनिधियों के द्वारा जो अनियमितता पूर्वक विभिन्न योजना के तहत कार्य कराया गया है, वहां गुणवत्तापूर्ण कार्य कराना और लोगों को विश्वास दिलाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगर ऐसा वह करा पाते हैं तो वह लोगों का विश्वास जीत सकते हैं। अब देखना यह है कि क्या निवर्तमान विधायक लोगों के विश्वास पर खरा उतर पाते हैं या यूं ही पूर्व की भांति अपना मन और मिजाज बदल लेते हैं।