देश के विभिन्न राज्यों में फंसे अप्रवासी मजदूरों की हालत दयनिय:- विधायक।
वंदना झा
समस्तीपुर:- जिले के स्थानी विधायक अख्तरुल इशलाम शाहीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा और कहा कि बिहार के अप्रवासी मज़दूर करोड़ो की संख्या में देश के विभिन्न राज्यों में जीविकोपार्जन हेतु वहाँ की अर्थव्यवस्था को विभिन्न रूपों में मजबूती प्रदान करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान कर रहे हैं। भारत में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण के कारण 22 मार्च-2020 जनता कर्फ्यू से लगातार देश में लॉकडाउन घोषित है।परिणाम स्वरुप अप्रवासी खासकर दैनिक मजदूर वहीँ फंस हुए हैं।
सरकार के द्वारा घोषणा किया गया कि जो लोग जहाँ हैं वहीं ठहरे रहें, उनके खाने-पीने व अन्य आवश्यकतों की पूर्ति सरकार करेगी। लॉकडाउन में रोजगार बन्द होने के कारण इनलोगों को कल-कारखाने व अन्य प्रतिष्ठान के मालिकों ने उन मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।
अधिकांश मकान मालिकों ने उन्हें अपने घर से निकाल दिया है। इस कार्य में मजदूरों को मदद के लिए सरकारी हेल्प लाईन भी जारी किया गया। परन्तु जब ये प्रवासी लोग उन हेल्प लाईन पर सम्पर्क करते हैं,तो उन्हें कोई जवाब नही दिया जाता है।परेशान हो कर दिल्ली,कर्नाटक, बंगाल,उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश,गुजरात,पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के अप्रवासी बिहारी अब तक 8-10 हजार लोग दूरभाष पर अपनी दयनीय हालत का बयान मुझसे कर चुके हैं।कई राज्यों में उनके साथ सौतेलापन का व्यवहार किया जा रहा है।कोरोना वायरस फैलाने का झूठा आरोप लगाकर स्थानीय लोग उनके साथ मारपीट के साथ-साथ दुर्व्यवहार भी करते हैं।हजारों अप्रवासी बिहारी लोगों ने बताया कि अब उनके पास राशी एवं खाने-पीने की सामाग्री खत्म हो चुकी है।ऐसी हालत में वे कोरोना से शायद मरे न मरे भूख एवं
ईलाज के अभाव में अवश्य मर जाएंगे।
इसलिए वे लोग से गुहार लगा रहे हैं कि बिहार सरकार उन लोगों को अपने-अपने घरों तक पहुँचाने में मदद करें। यह सारा मामला इलेक्ट्रोनिक,प्रिंट एवं सोशल मिडिया के माध्यम से सार्वजनिक हो रहा है जिसकी जानकारी आप को पूरी तरह से है। इस गम्भीर राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में मैं आपके निर्णय के साथ हूँ, फिर भी मेरा सुझाव है कि-
१.देश के विभिन्न राज्यों में फंसे अप्रवासी मजदूरों की सूची बिहार के सभी जिलों के ग्राम एवं उसके टोलों में सर्वे करवाकर इकट्ठा करें एवं उसके वर्तमान ठिकानों को चिन्हित करावें। २.उन फंसे अप्रवासी बिहारियों को पर्याप्त भोजन, चिकित्सा सेवा एवं रहने की व्यवस्था कराई जाय एवं सरकार द्वारा सहायतार्थ राशि प्रतिव्यक्ति रु.1000 जो अभी तक 99% लोगों तक नहीं पहुँचा है,जरूरतमंद लोगों तक अविलम्ब पहुँचाया जाय।३.यदि सम्भव हो तो आवश्यकतानुसार पूरे रेलगाड़ी को सेनिटाइज कर सोशलडिस्टेंसिंग मेनटेन करते हुए उनके गांव तक पहुँचाया जाय एवं पंचायत में संचालित क्वॉरेंटाइन सेन्टर में स्वास्थ्य परीक्षण कर क्वॉरेंटाइन कराया जाय।
अतः आग्रह है कि देश के विभिन्न राज्यों में फंसे अप्रवासी बिहारी को आवश्यक सुविधा व सेवा अविलम्ब उपलब्ध कराने की कृपा की जाय।