वंदना झा
समस्तीपुर बिहार।
समस्तीपुर:- जिले के दलसिंहसराय प्रखंड के अंतर्गत पाड़ पंचायत को सौभाग्य ऐसा है कि यहां महाभारत काल की विरासत मौजूद है। पर अफसोस यह है कि इसके वजूद पर संकट खड़ा हो गया है। आलम यह कि नाम पांडव डीह, विरासत महाभारत काल की हालत गुमनामी का है। यानी सबकुछ होने के बाद भी यहां की धरोहर पर्यटन की फलक पर नहीं पहुंच सकी है।
वहीँ छात्र राजद के पूर्व जिलाध्यक्ष शशि यादव उर्फ शशि राज ने कहा है कि पांडव स्थान ऐतिहासिक धरोहरों को अपने गौरवशाली अतीत की गर्भ में समेटे हुए है। लेकिन हालत यह है कि यह गुमनामी का दंश झेल रहा है। दुर्भाग्य यह कि आज तक पर्यटक स्थल के मानचित्र पर इसे स्थापित नहीं किया जा सका है।
जबकि स्थानीय किदवदंतियां है कि महाभारत काल में पाडवों का अज्ञातवास यही से हुआ था। इसके कारण ही इस स्थल का नाम पाण्डव स्थल पड़ गया और इस नाम से ही इसे जाना जाने लगा। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के ने वर्ष 2015 में अपनी सेवायात्रा के दौरान कहा था कि पांडव स्थान को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन कई वर्ष बीत गए, पांडव स्थान को अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है। छात्र राजद के पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों को राष्ट्रीय फलक पर स्थान दिलाने के लिए संघर्ष जारी है।
इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप विकसित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है l यह स्थल बिहार के लिए गौरव का प्रतीक है। इसके महत्वपूर्ण गौरवशाली अतीत एवं ऐतिहासिक पहचान को भारत के मानचित्र पर एक पर्यटक स्थल का दर्जा दिलाने के लिए लॉकडाउन समाप्त होने के उपरांत चरणबद्ध आंदोलनों की शंखनाद की जाएगी। इस आशय की जानकारी राकेश कुमार ठाकुर के द्वारा प्रेस को मिला।